लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में तीन फेज की वोटिंग हो चुकी है. बाकी चार फेज की वोटिंग से पहले INDIA अलायंस (INDIA Alliance) और आम आदमी पार्टी (AAP) को एक ऐसी खबर मिली, जिसने उसके इलेक्शन कैंपेन के लिए बूस्टर डोज का काम किया. दिल्ली के शराब नीति केस (Delhi Liquor Policy Case) में कथित घोटाले के आरोप में 40 दिन से तिहाड़ जेल में बंद सीएम अरविंद केजरीवाल को शुक्रवार (10 मई) को जमानत मिल गई. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के सीएम को 1 जून तक के लिए अंतरिम जमानत दी है. 2 जून को सरेंडर करना होगा. इस दौरान केजरीवाल (Arvind Kejriwal) सीएम से जुड़े कोई काम नहीं कर पाएंगे, लेकिन चुनाव प्रचार जरूर कर सकेंगे. दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों पर 25 मई को वोटिंग है. इससे पहले केजरीवाल को जमानत मिलने से आम आदमी पार्टी में जैसे नई जान फूंक दी गई है. INDIA अलायंस में भी जोश आ गया है. आइए समझते हैं कि केजरीवाल के जेल से बाहर निकलने से लोकसभा चुनाव पर क्या असर पड़ेगा? जमानत मिलने के बाद क्या केजरीवाल को दिल्ली में जीत भी मिलेगी?
आम आदमी पार्टी के लिए केजरीवाल का बाहर आना बहुत मायने रखता है. चुनाव के वक्त प्रचार के लिए अंतरिम ज़मानत मिलना बड़ी बात है. केजरीवाल उस वक्त बाहर आए हैं, जब पार्टी को उनकी सबसे ज़्यादा जरूरत है. वह आम आदमी पार्टी के सबसे बड़ा चेहरा हैं. चुनाव के वक्त उनका जेल में होना पार्टी के लिए परेशानी बढ़ाने वाला रहा. दिल्ली सरकार के एक मंत्री ने तो उनके जेल जाने के बाद पार्टी और सरकार ही छोड़ दी.
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मुश्किलों में भी नहीं टूटी AAP
हालांकि, राहत की बात ये ज़रूर है कि आम आदमी पार्टी टूटी नहीं. केजरीवाल जेल से सरकार चलाने वाले देश के पहले सीएम भी बन गए. अब केजरीवाल बाहर आ गए हैं, तो आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में ज़बरदस्त उत्साह है. कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि केजरीवाल के प्रचार करने से पार्टी का प्रदर्शन लोकसभा चुनाव में बेहतर होगा. वहीं, INDIA गठबंधन भी इसे चुनाव में कैश करने की कोशिश करेगी.
केजरीवाल को अंतरिम जमानत मिलने क्या होगा असर?
केजरीवाल की रिहाई का असर दिल्ली, पंजाब और हरियाणा की उन 18 लोकसभा सीटों पर पड़ेगा, जहां आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. इसमें दिल्ली की 4, पंजाब की 13 और हरियाणा की 1 सीट शामिल है. दिल्ली और हरियाणा में छठे फेज में 25 मई को वोटिंग होगी. जबकि पंजाब में 1 जून को वोट डाले जाएंगे. इसी दिन केजरीवाल की अंतरिम जमानत खत्म हो रही है.
इससे INDIA गठबंधन को कितना फायदा?
माना जा रहा है कि अंतरिम जमानत के दौरान अरविंद केजरीवाल दिल्ली में AAP की 4 सीटों पर प्रचार के अलावा उन सीटों 3 सीटों पर भी प्रचार करेंगे, जहां INDIA गठबंधन के तहत कांग्रेस ने कैंडिडेट उतारे हैं. इसके अलावा केजरीवाल पंजाब की सभी सीटों पर प्रचार करेंगे. यहां AAP अकेले चुनाव लड़ रही है. जबकि हरियाणा में कांग्रेस के साथ गठबंधन किया है. ऐसे में INDIA अलायंस और कांग्रेस को अरविंद केजरीवाल से फायदा मिलने की उम्मीद है.
नीरजा चौधरी आगे बताती हैं, "हालांकि इसमें एक चीज देखनी होगी. वो ये कि केजरीवाल के बाहर आने से क्या नुकसान हो सकता है. अभी केजरीवाल के जेल जाने से दिल्ली के लोगों में उनके प्रति और उनके पार्टी के प्रति सहानुभूति पैदा होगी. अगर वो जेल से निकल कर आते हैं, तो स्थिति सामान्य हो जाएगी. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि क्या केजरीवाल और AAP के प्रति सहानुभूति में कोई कमी आएगी?"
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वहीं, HT के पॉलिटिकल एडिटर विनोद शर्मा कहते हैं, "बेशक अरविंद केजरीवाल के बाहर आने से INDIA गठबंधन को एक नई एनर्जी मिलेगी. उसके प्रचार अभियान को नई धार मिलेगी. कितना वोट मिलता है और कितनी सीटें मिलती हैं? ये तो वक्त बताएगा."
क्या केजरीवाल के प्रचार करने से दिल्ली और पंजाब में बीजेपी को होगा नुकसान?
सीनियर जर्नलिस्ट नीरजा चौधरी बताती हैं, "केजरीवाल के चुनाव प्रचार में उतरने से ओवरऑल दिल्ली और पंजाब में बीजेपी को नुकसान हो सकता है. क्योंकि अरविंद केजरीवाल मंझे हुए नेता हैं. उनका बाहर आना और लीडरशिप प्रोवाइड करने से फर्क तो पड़ेगा. केजरीवाल दिल्ली के सीएम हैं और आम आदमी पार्टी के नेता हैं. प्रचार में इसका असर तो दिखेगा. साथ ही सहानुभूति का फैक्टर भी काम कर सकता है."
क्या कहती है बीजेपी?
बीजेपी नेता और वकील हितेश जैन कहते हैं, "केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने जो राहत दी है, वो किसी मेरिट के आधार पर नहीं दी है. उन्हें अंतरिम जमानत दी गई है. ये एक एक्सेप्शनल ऑर्डर है. जहां तक कोर्ट के ऑर्डर का सवाल है, तो 1947 के बाद पहली बार ऐसा कोई फैसला दिया गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने किसी को चुनाव में सिर्फ कैंपेनिंग के लिए बेल दी हो."
केजरीवाल के आने से क्या लोकसभा चुनाव के नतीजों पर होगा असर?
हितेश जैन कहते हैं, "मुझे नहीं लगता कि इससे चुनाव परिणामों पर कोई असर पड़ेगा. ये केजरीवाल के लिए कोई पॉजिटिव ऑर्डर साबित नहीं होगा. इस ऑर्डर का मतलब समझिए. केजरीवाल दिल्ली सीएम के दफ्तर में नहीं जा सकते. वो दिल्ली सचिवालय में नहीं जा सकेंगे. केजरीवाल शराब नीति केस के मेरिट्स के बारे में कोई बयान नहीं दे सकते. न ही इससे जुड़े किसी गवाह से बात कर सकते हैं और इसकी कोई फाइल भी नहीं देख सकते हैं. ऐसे में केजरीवाल जनता के बीच आ तो गए, लेकिन उन्हें जनता को बताना पड़ेगा कि वो क्यों सीएम रहते हुए उनके दफ्तर में नहीं जा सकते. निश्चित तौर पर ये केजरीवाल के लिए यहां से आगे का सफर आसान नहीं होगा."
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