Analysis: पंजाब का 'सरदार' कौन? BJP को मिशन-370 के लिए कितनी उम्मीद

राजनीतिक एक्सपर्ट अमिताभ तिवारी ने कहा कि पंजाब में हमेशा से एंटी सेंटर पॉलिटिक्स होती रही है. 2014 में कांग्रेस के खिलाफ वोटिंग हुई थी एनडीए को अधिक सीट मिली थी. 2019 में एनडीए की हार हुई और कांग्रेस को अधिक सीटों पर जीत मिली.

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नई दिल्ली:

पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर हो रहे चुनाव के लिए चार-चार टीमें दावेदार है. पंजाब में चतुष्कोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, अकाली दल और बीजेपी के बीज पंजाब में मुकाबला देखने को मिल रहा है. पंजाब में होने वाले चुनाव को लेकर सबसे बड़ी चर्चा है कि क्या आम आदमी पार्टी विधानसभा वाले अपने प्रदर्शन को एक बार फिर से दोहरा पाएगी या कांग्रेस अपने पिछले लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को एक बार फिर से करेगी.  

6 हॉट सीटों पर किसकी होगी जीत किसकी होगी हार? 

  1. अमृतसर: इस लोकसभा चुनाव में पंजाब में जिन सीटों को हॉट सीट माना जा रहा है उसमें सबसे पहला नंबर आता है अमृतसर का. अमृतसर में चौतरफा मुकाबला है. 1989 के चुनाव के बाद पहली बार पंजाब में ऐसा मुकाबला देखने को मिल रहा है. बीजेपी इस चुनाव में गैर सिख मतों पर फोकस कर रही है. अमृतसर में हिंदुओं की अच्छी आबादी है. 
  2. पटियाला: सीट पर इस चुनाव में भारी उठापटक देखने को मिला है. 2 बार से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीत रही परनीत कौर ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. वहीं आम आदमी पार्टी की टिकट पर एक बार चुनाव जीतने वाले धरमवीर गांधी ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है. कैप्टन अमरिंदर सिंह भी बीजेपी के साथ है. पटियाला सीट पर अमरिंदर सिंह की हमेशा से चर्चा रही है. लेकिन अमरिंदर सिंह की अब वो धार नहीं रही है. 
  3. जालंधर: में इस चुनाव में इस चुनाव में बीजेपी ने आम आदमी पार्टी के विधायक को उम्मीदवार बनाया है. इस लोकसभा सीट पर हिंदुओं की आबादी लगभग 40 प्रतिशत से अधिक है. बीजेपी को इस आबादी से उम्मीद है. अब सबसे रोचक ये होगा कि आम आदमी पार्टी का जो आधार पिछले बार था क्या वो इस बार बीजेपी के प्रत्याशी को वोट करेगा. 
  4. बठिंडा: सीट पर पिछले तीन चुनावों से अकाली दल की हरसिमरत कौर चुनाव जीतती रही हैं. हालांकि इस बार समीकरण काफी बदल गए हैं. अकाली दल के साख में काफी कमी आ गयी है. बीजेपी अपने दम पर चुनाव लड़ रही है. आम आदमी पार्टी भी पूरी तैयारी में है. 
  5. लुधियाना: सीट पर पिछले 3 चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी. 2014 और 2019 में रवनीत सिंह बिट्टू ने चुनाव जीत कर दिल्ली पहुंचे थे. हालांकि इस चुनाव में समीकरण बदले हुए दिख रहे हैं. इस चुनाव में रवनीत सिंह बिट्टू बीजेपी के उम्मीदवार हैं. लुधियाना में भी बीजेपी की नजर हिंदू वोट बैंक और रवनीत सिंह बिट्टू के आधार वोट के सहारे चुनाव जीतने की है. 
  6. गुरुदासपुर: सीट पर पिछले 2 चुनावों में बीजेपी को जीत मिली है. दोनों ही चुनावों में बीजेपी की तरफ से फिल्म स्टार मैदान में थे. इस चुनाव में बीजेपी ने फिल्म स्टार पर दांव नहीं खेला है. गुरुदासपुर सीट पर सनी देओल ने बहुत कुछ काम नहीं किया. हर चुनाव अलग-अलग होता है.  

    

पंजाब में एंटी सेंटर पॉलिटिक्स होती रही है: अमिताभ तिवारी
पंजाब में हमेशा से एंटी सेंटर पॉलिटिक्स होती रही है. 2014 में कांग्रेस के खिलाफ वोटिंग हुई थी एनडीए को अधिक सीट मिली थी. 2019 में एनडीए की हार हुई और कांग्रेस को अधिक सीटों पर जीत मिली. इस चुनाव में चौतरफा मुकाबला है. कांग्रेस पार्टी को न सिर्फ बीजेपी से बल्कि आम आदमी पार्टी से भी इस चुनाव में खतरा है. कांग्रेस पार्टी की सीटें इस चुनाव में कम हो सकते हैं. 

पंजाब में किसके साथ होगी जातीय गोलबंदी?
पंजाब की अगर बात करें तो राज्य में 58 प्रतिशत सिख आबादी, 38 प्रतिशत हिंदू अबादी और 32 प्रतिशत दलित आबादी है. कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को जब सीएम बनाया था तो उसे एक मास्टर स्ट्रोक बताया गया था हालांकि कांग्रेस को सफलता नहीं मिली थी. पंजाब में दूसरे राज्यों की तुलना में थोड़ी अलग हालात रहे हैं. 

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राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने कहा कि पंजाब में पहले हिंदू बहुल सीटों पर बीजेपी चुनाव लड़ती थी वहीं अकाली दल सिख बहुल सीटों पर मैदान में उतरती थी. पंजाब की राजनीति मे बसपा का भी आधार रहा है. 2019 के चुनाव में कांग्रेस को लगभग सभी समाज का वोट मिला था. विधानसभा चुनाव में वो वोट आम आदमी पार्टी में शिफ्ट हो गया.  

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