दिल्ली में कल नहीं होगा मेयर-डिप्टी मेयर का चुनाव, जानिए वजह

वहीं दिल्ली नगर निगम के सचिव द्वारा जारी नोटिस में लिखा गया है कि डीएमसी अधिनियम, 1957 (संशोधित 2022) की धारा 77 (ए) के अनुसार पीठासीन अधिकारी का नामांकन अनिवार्य है. ऐसे में फिलहाल मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव कराना संभव नहीं हो सकेगा.

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नई दिल्ली:

दिल्ली को शुक्रवार को नया मेयर नहीं मिलेगा. आम आदमी पार्टी के मुताबिक, उप राज्यपाल ने ऐन वक्त पर दिल्ली नगर निगम के मेयर का चुनाव रद्द कर दिया जबकि चुनाव आयोग ने 26 अप्रैल को चुनाव कराने की अनुमति दे दी थी. एलजी ने चुनाव रद्द करने का कारण बताया है कि वह मुख्यमंत्री की सलाह पर काम करते हैं. इसमें सीएम की इजाजत नहीं मिली है, इसलिए दिल्ली के मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव स्थगित कर दिया गया है. एमसीडी के प्रभारी दुर्गेश पाठक ने इसकी जानकारी शेयर की.

वहीं दिल्ली नगर निगम के सचिव द्वारा जारी नोटिस में लिखा गया है कि डीएमसी अधिनियम, 1957 (संशोधित 2022) की धारा 77 (ए) के अनुसार पीठासीन अधिकारी का नामांकन अनिवार्य है. ऐसे में फिलहाल मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव कराना संभव नहीं हो सकेगा.

दिल्ली की मौजूदा मेयर शैली ओबेरॉय के मुताबिक उपराज्यपाल के पास पीठासीन अधिकारी को नियुक्त करने को लेकर फाइल भेजी गई थी. फाइल जब वापस आई तो बताया गया कि मुख्यमंत्री की राय के बिना पीठासीन अधिकारी को नियुक्त नहीं कर सकते. ओबेरॉय ने कहा कि यह भाजपा का डर है. वे चाहते ही नहीं हैं कि लोकसभा चुनाव के दौरान आप का मेयर बने. वहीं पाठक ने कहा कि इस बार मेयर की सीट आरक्षित थी. मेयर का चुनाव कैंसिल करवाकर दलित समाज का अपमान किया गया है. दलित समाज को पांच साल में केवल एक साल दिल्ली का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलता है, इसे भी छीना जा रहा है.

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उन्होंने कहा कि एलजी साहब चुनाव रद्द करने का कारण बता रहे हैं कि वो मुख्यमंत्री की सलाह पर काम करते हैं. इसमें सीएम की इजाजत नहीं मिली है. इससे पहले सीएम ने दिल्ली के हक में हजारों सलाह दिए हैं, पर एलजी साहब ने आज तक उस पर काम नहीं किया. दुर्गेश पाठक ने कहा कि इसी तरह जब 2019 में चुनाव होने थे, उस समय भी पूरे देश के अंदर इलेक्शन हो रहे थे, तब भी दिल्ली में मेयर चुनाव हुआ था. लेकिन इस बार इन्होंने संविधान को तार-तार करते हुए इलेक्शन को कैंसल कर दिया.

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एलजी साहब कारण बता रहे हैं कि वह मुख्यमंत्री की सलाह पर काम करते हैं. अभी सीएम ने इसकी इजाजत नहीं दी है. यह कितना मजाकिया तर्क है. मुख्यमंत्री ने दिल्लीवालों के हक में हजारों सलाह दिए, लेकिन एलजी साहब ने आज तक उस पर एक भी काम नहीं किया. पिछली बार मेयर चुनाव के दौरान बहुत लड़ाई झगड़े हुए थे. तब दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा था कि मुकेश गोयल सबसे वरिष्ठ है, उनको पीठासीन अधिकारी बनना चाहिए. इसके बाद भी एलजी साहब ने उनकी नहीं सुनी और भारतीय जानता पार्टी के कार्यकर्ता को पीठासीन अधिकारी बना दिया.

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उस भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता ने संविधान की हत्या करने की कोशिश की. हमें सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा. सुप्रीम कोर्ट से परमिशन ली और पीठासीन अधिकारी को हटाया गया. उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ के मेयर चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता को पीठासीन अधिकारी बनाया गया. उसने भी मेयर चुनाव की प्रक्रिया को बाधित की और खुलेआम गड़बड़ी की. कल दिल्ली के अंदर 11 बजे मेयर का चुनाव होना था, लेकिन इन्होंने चुनाव कैंसिल कर दिया.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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