तीस पूर्व आईपीएस पुलिस अधिकारियों ने राष्ट्रपति को पत्र लिख कर केजरीवाल के व्यवहार पर चिंता जताई. इन पूर्व आईपीएस अधिकारियों ने हाल की अहमदाबाद की घटना का जिक्र किया. पत्र में लिखा कि केजरीवाल ने ऑटो रिक्शा में बैठने को लेकर पुलिसकर्मी से बदसलूकी की और काला धब्बा बताया. जबकि पुलिसवाले केवल सुरक्षा देने का अपना काम कर रहे थे. 2017 चुनाव के समय पंजाब में भी केजरीवाल ने ऐसा ही किया था. तब वे चाहते थे कि उनकी सुरक्षा हटा ली जाए लेकिन पंजाब के एडीजीपी ने सख्त पत्र लिख कर स्पष्ट कर दिया था कि मुख्यमंत्री को सुरक्षा देना पुलिस की जिम्मेदारी है.
यह जनता की भावनाओं को अपने साथ करने के लिए की जा रही नौटंकी है जो पहले पंजाब और अब गुजरात में की गई. अहमदाबाद में केजरीवाल की टिप्पणी हैरान करने वाली हैं क्योंकि कई मौकों पर वे सुरक्षा बढ़ाने के लिए कह चुके हैं. प्रोटोकाल का उल्लंघन कर केजरीवाल खुद को इस तरह के खतरे में डाल रहे हैं जो उनकी सुरक्षा के लिए खतरनाक हो सकता है. केजरीवाल की भाषा के कारण पुलिस बल की साख को चोट पहुंची है. इस तरह की भाषा भारत की राजधानी के मुख्यमंत्री को शोभा नहीं देती.
नेता दिन रात चुनाव प्रचार करने और जनता से संपर्क करने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन उनकी हिफाजत की जिम्मेदारी पुलिस बल की है. अपनी भाषा और हरकतों से केजरीवाल खुद को राजनीतिक रूप से शहीद दिखाना चाहते हैं लेकिन उन्होंने ऐसा करके गुजरात और पूरे देश में पुलिस बल की गलत तस्वीर पेश की है. राष्ट्रपति से आग्रह है कि वे केजरीवाल को नसीहत देंं कि वे आगे ऐसा न करें. इस पत्र पर जम्मूु कश्मीर के पूर्व पुलिस महानिदेशक एस पी वैद और महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रवीण दीक्षित समेत तीस पूर्व आईपीएस अधिकारियों के दस्तखत हैं.
इस पत्र पर जवाब देते हुए आम आदमी पार्टी ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा है कि इस पत्र के पीछे भाजपा का हाथ है. गुजरात में आने वाले चुनाव में भाजपा की स्थिति खराब है, इसलिए भाजपा रिटायर्ड पुलिस अधिकारियों की मदद ले रही है. आम आदमी पार्टी जमीन पर रहकर काम कर रही है, ऐसे में भाजपा आम आदमी पार्टी पर निराधार आरोप लगा रही है.