दिल्ली आने-जाने वाली ट्रेनों की खत्म होगी लेटलतीफी, फ्रेट कॉरिडोर का ये हिस्सा पूरा होते ही...

अत्याधुनिक ट्रेन कॉरिडोर 80 हजार करोड़ की लागत से बन रहा है. भारतीय रेलवे का ये ड्रीम प्रोजेक्ट ईस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर है. खुर्जा से लेकर कानपुर तक फ्रेट कॉरिडोर पर मालगाड़ी (Goods Train) को चलाने की हरी झंडी लगभग मिल चुकी है.

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Dedicated Freight Corridor बनने से माल ढुलाई भी काफी तेज हो जाएगी
टुंडला:

दिल्ली आने-जाने वाले ट्रेनों की लेटलतीफी की बड़ी वजह जल्द दूर होने वाली है. यह सौगात रेलयात्रियों को देश की महत्वपूर्ण ट्रेन परियोजना डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (Eastern Dedicated Freight Corridor) का 341 किमी का एक हिस्सा पूरा होने से मिलेगी. इससे मालगाड़ियों की आवाजाही पूरी तरह से कॉरिडोर पर चली जाएगी. उम्मीद है कि खुर्जा से कानपुर के बीच फ्रेट कॉरिडोर के इस हिस्से पर 30 नवंबर से मालगाड़ियां दौड़ने लगेंगी. रेल ट्रैक के इस बिजी रूट पर कॉरिडोर चालू होने से यात्री ट्रेनों की आवाजाही काफी हद तक समय पर होने लगेगी और माल ढुलाई में कम वक्त लगेगा.

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ये अत्याधुनिक ट्रेन कॉरिडोर 80 हजार करोड़ की लागत से बन रहा है. भारतीय रेलवे का ये ड्रीम प्रोजेक्ट ईस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर है. खुर्जा से लेकर कानपुर तक फ्रेट कॉरिडोर पर मालगाड़ी (Goods Train) को चलाने की हरी झंडी लगभग मिल चुकी है. इस ट्रैक की मजबूती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस पर डबल डेकर मालगाड़ी से लेकर सवा किमी लंबी ट्रेन भी चल सकती है. डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (Dedicated Freight Corridor) पर पटरियों के अलावा ऐसे स्टेशन भी बनाए गए हैं, जहां पर यात्री टिकटों की नहीं, बल्कि व्यापारियों के सामान की बुकिंग होगी. ईस्टर्न और वेस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर के बनने पर 13 हजार टन रोज माल ढुलाई करने का इरादा है.

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डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) के जीएम ऑपरेशंस वेद प्रकाश ने कहा कि 40 फीसदी काम हम इस साल पूरा कर लेंगे. कॉरिडोर पर खुर्जा से कानपुर तक ट्रेन चलाएंगे, क्योंकि ये काफी व्यस्त रेल मार्ग रहता है. फिलहाल उससे राहत मिल जाएगी. डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के ट्रैक पर लंबी मालगाड़ियां पूरी रफ्तार से चलाई जाएंगी. इसी के चलते आबादी वाली जगहों पर इस तरह की दीवारें बना दी गई हैं. मिताली गांव के बाहर इस तरह की कंपनरोधी और ध्वनिरोधी दीवारें भी बनाई गई हैं ताकि गांव के लोगों को दिक्कत न हो.

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दिल्ली से कोलकाता की दूरी महज 18 घंटे में तय होगी
डीएफसी के सीएमडी (CMD) आरएन सिंह ने कहा कि मालगाड़ियां जब कॉरिडोर पर आ जाएंगी तो यात्री ट्रेनें सब उधर चली जाएंगी. जब कॉरिडोर सोन नगर तक खुल जाएगा तो पटना जाने में दो घंटे कम हो जाएंगे.ईस्टर्न और वेस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर बनने में पहले ही तीन साल की देरी हो चुकी है. इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से दिल्ली से कोलकाता की दूरी महज 18 से 20 घंटे में पूरी की जा सकेगी, जो फिलहाल 48 से 56 घंटे में पूरी होती है.
 

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