महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में राज्य में सत्तारूढ़ महायुति के खराब प्रदर्शन के कारणों में प्याज के कम दाम समेत इससे जुड़े अन्य मुद्दों को लेकर किसानों में पनपा असंतोष भी शामिल रहा. उन्होंने कहा कि शिवसेना-भाजपा-राकांपा के गठबंधन को नासिक समेत राज्य के प्याज उत्पादन क्षेत्र में किसानों के असंतोष की कीमत चुकानी पड़ी और वहां सत्तारूढ़ गठबंधन का प्रदर्शन खराब रहा.
शिंदे ने कहा था, ‘‘नासिक में हमें प्याज ने रुलाया, मराठवाड़ा और विदर्भ में सोयाबीन और कपास ने रुलाया.''
अजित पवार ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि वे प्याज के लिए समर्थन मूल्य की जरूरत के बारे में लगातार बोल रहे थे और किसानों तथा उपभोक्ताओं, दोनों के हितों का ध्यान रखा जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘नयी दिल्ली की यात्रा के दौरान हमने केंद्रीय वाणिजय मंत्री पीयूष गोयल, सहकारिता मंत्री अमित भाई शाह को प्याज के कारण (महायुति की हुई चुनावी) हार के बारे में बताया. राज्य में प्याज के किसानों के बीच भारी नाराजगी थी और हमें लोकसभा चुनाव में उसकी कीमत चुकानी पड़ी.
खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र द्वारा पिछले साल दिसंबर में प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के कारण किसानों ने, खासकर नासिक क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन किया. इस प्रतिबंध के कारण प्याज के दाम घट गये. अंततः मई की शुरुआत में प्रतिबंध हटा लिया गया था.
लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में महायुति के घटक भाजपा, शिवसेना और राकांपा ने क्रमश: नौ, सात और एक सीट जीती. दूसरी तरफ, विपक्षी महा विकास आघाडी ने राज्य की 48 में से 30 सीट जीती. महा विकास आघाडी में कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और राकांपा(एसपी) हैं.
शिवसेना और उसकी सहयोगी भाजपा क्रमश: नासिक और डिंडोरी लोकसभा सीट पर हार गए. गठबंधन को मराठवाड़ा में केवल एक सीट और विदर्भ में केवल दो सीट पर जीत मिली.