झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ खनन और शेल कंपनियों और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों से संबंधित दो जनहित याचिकाओं में एक याचिकाकर्ता वकील राजीव कुमार को रविवार को कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. जानकारी के मुताबिक उनकी गिरफ्तारी 50 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में हुई . कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी वकील राजीव कुमार की गिरफ्तारी की पुष्टि की है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सूत्रों ने कहा कि पुलिस कुमार के संभावित साथियों की भी तलाश कर रही है. झारखंड में "पीआईएल मैन" के रूप में जाने जाने वाले कुमार ने हाल ही में एक याचिकाकर्ता शिव शंकर शर्मा की ओर से तीन जनहित याचिकाएं दायर की थीं. उनमें से एक ने सोरेन पर खनन विभाग को संभालने के दौरान खुद को खनन पट्टा देने का आरोप लगाया. दूसरी में कहा कि सोरेन कथित तौर पर शेल कंपनियों और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े थे - इनकी जांच वर्तमान में ईडी द्वारा की जा रही है.
कुमार एक जनहित याचिका में भी वकील हैं, जिसमें मनरेगा में वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाया गया था, जिसके कारण ईडी ने झारखंड खनन सचिव पूजा सिंघल और सोरेन के सहयोगी पंकज मिश्रा को गिरफ्तार किया था. फरवरी में दायर खनन जनहित याचिका में कुमार ने सुरक्षा की मांग करते हुए एक अतिरिक्त याचिका दायर की थी, जिसमें दावा किया गया था कि उन्हें धमकी दी गई थी. हालांकि, महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा था कि याचिका मुख्यमंत्री को "बदनाम" करने के लिए दायर की गई थी.
सुनवाई के दौरान झारखंड की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने जनहित याचिका की वैधता पर तर्क दिया था क्योंकि याचिकाकर्ता शिव शंकर शर्मा के पिता हेमंत सोरेन के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के खिलाफ एक मामले में गवाह थे. हेमंत सोरेन के वकील मुकुल रोहतगी ने जनहित याचिका को "दुर्भावनापूर्ण" बताया था. खनन जनहित याचिका के जवाब में हेमन सोरेन ने प्रस्तुत किया था कि आरोप भाजपा द्वारा दायर एक अन्य याचिका के समान थे, और यह कि "दोनों समान हैं और ये एक ही व्यक्ति का काम है.
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कुमार ने भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास के साथ एक जनहित याचिका भी दायर की थी, जो उस समय मंत्री थे, तथाकथित घोटाले में एक पार्टी प्रतिवादी के रूप में एक परामर्श अनुबंध में अनियमितताओं के आरोपों से संबंधित थे. हालांकि,ये जनहित याचिका आगे नहीं बढ़ी है.
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