भारत के इतिहास में दर्ज एक काले अध्याय जलियांवाला बाग के नवीकरण को लेकर सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा और आलोचना देखने को मिल रही है. यहां पर 102 साल पहले 1000 से ज्यादा लोगों को मार दिया गया था. ज्यादात्तर आलोचनाएं उन गलियारों को लेकर हो रही है, जिन्हें बदल दिया गया है. इन गलियारों में ही जनरल डायर ने अपने आदमियों का नेतृत्व करते हुए वहां बैसाखी पर शांति से प्रदर्शन कर रहे पुरुषों और महिलाओं पर गोली चलाने का आदेश दिया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को पुनर्निर्मित परिसर का उद्घाटन करते हुए कहा था कि यह देश का कर्तव्य है कि इसके इतिहास की रक्षा करें.
सोशल मीडिया पर कई लोगों ने सरकार पर नवीकरण के नाम पर इतिहास को नष्ट करने का आरोप लगाया है. दूसरों ने आरोप लगाया कि राजनेताओं को शायद ही कभी इतिहास की अनुभूति होती है.
इतिहासकार एस इरफान हबीब ने ट्वीट किया है, 'यह स्मारकों का निगमीकरण है, जहां वे आधुनिक संरचनाओं के रूप में समाप्त हो जाते हैं, विरासत मूल्य खो देते हैं.'
अब तक की सबसे तीखी आलोचना सीपीएम के सीताराम येचुरी ने की, जिन्होंने कहा, "केवल वे जो स्वतंत्रता संग्राम से दूर रहे, वे ही इस प्रकार कांड कर सकते हैं".
कांग्रेस ने भी भारत में दक्षिणपंथ के इतिहास का हवाला देते हुए सरकार की खिंचाई की.
इतिहासकार किम ए वैगनर ने ट्वीट किया, 'यह सुनकर स्तब्ध हूं कि 1919 के अमृतसर नरसंहार के स्थल जलियांवाला बाग को नया रूप दिया गया है - जिसका अर्थ है कि घटना के अंतिम निशान प्रभावी रूप से मिटा दिए गए हैं. यही मैंने अपनी पुस्तक में स्मारक के बारे में लिखा है, एक स्थान का वर्णन करते हुए जो अब खुद इतिहास बन गया है.'