दरक रहे, पिघल रहे पहाड़: उत्तराखंड में ऊं के बाद अब डरा रही वरुणावत पर्वत की 'बीमारी'

उत्तराखंड में भारी बारिश के बाद स्थिति अब सामान्य है. मंगलवार रात भारी बारिश के कारण नालों के उफनने से मलबा सड़क पर आ गया था, जिसमें कुछ दोपहिया वाहन फंस गए थे. जिला प्रशासन हालात पर नजर रखे हुए है...

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नई दिल्ली:

उत्तराखंड में ऊं पर्वत के बाद अब उत्तरकाशी के वरुणावत पर्वत का बरसों पुराना जख्म डरा रहा है. भारी बारिश के बाद प्रशासन ने गोफियारा जल संस्थान के परिसर से लगे इलाके में रहने वाले लगभग 50-60 परिवारों के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया है. वरुणावत की तलहटी में स्थित सभी इलाकों के लोगों को सतर्क किया गया है. एसडीआरएफ सहित विभिन्न विभागों की टीमों को भेजकर स्थिति पर नजर रखी जा रही है. आपदा प्रबंधन टीमों को तैयार रखा गया है. उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने बताया कि भारी बारिश के बाद शहरी इलाके में स्थिति सामान्य है. सोशल मीडिया पर वरुणावत पर्वत में भूस्खलन से सैकड़ों वाहनों के मलबे में फंसने की खबर सही नहीं है. उन्होंने बताया कि उफनते नालों का पानी और मलबा सड़क पर आ जाने के कारण कुछ दोपहिया वाहन उसमें फंस गए थे.

जिला प्रशासन के मुताबिक गुफियारा क्षेत्र में भारी बारिश से हुए भूस्खलन का मलबा वरुणावत के ट्रीटमेंट के लिए लगवाई गई सुरक्षा रेलिंग में रुकने से आबादी वाले क्षेत्र में नहीं आया. इस घटना में जान-माल का कोई नुकसान नहीं हुआ. जिला प्रशासन के मुताबिक शहरी इलाके में भारी बारिश के कारण उफनते नालों का पानी और मलबा सड़क पर आ जाने के कारण गोफियारा में सड़क पर पार्क किए गए कुछ दोपहिया वाहन फंस गए थे, जिन्हें सुरक्षित निकाल लिया गया. इलाके में कोई भी वाहन मलबे में नहीं दबा है और जान-माल का कोई भी नुकसान नहीं हुआ है. मंगलवार रात जिला मुख्यालय व आसपास के क्षेत्रों में लगभग 11 बजे भारी बारिश होने के कारण नाले उफान पर आ गए थे, जिसके कारण गुफियारा, ज्ञानसू, मैणागाड, तेखला आदि क्षेत्रों में कुछ जगहों पर जलभराव होने व सड़क पर नालों से आया मलबा फैल जाने की सूचना मिली थी. 

जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट के मुताबिक अधिकारियों की बैठक लेकर प्रभावित क्षेत्र में एसडीआएफ व प्रशासन की टीमों को तैनात किया गया है. जिलाधिकारी की ओर से भूस्खलन और पत्थर-बोल्डर गिरने के कारण, प्रभाव तथा इससे प्रभावित होने वाले इलाके आदि के सर्वे के लिए एक तकनीकी समिति गठित की गई है.

साल 2003: वरुणावत पर्वत में हुआ था भारी भूस्खलन  

बता दें कि वरुणावत पर्वत पर 2003 के बाद से कभी कोई भूस्खलन नहीं हुआ है. 2003 में वरुणावत पर्वत से मलबा और बोल्डर गिरने के कारण भारी नुकसान हुआ था और काफी वक्त तक वह भूस्खलन सक्रिय रहा था और इसे सही करने में भी लंबा वक्त लगा था. उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने करीब 250 करोड़ से अधिक का बजट सुरक्षा कार्यों के लिए दिया था. उस समय एक बड़ी आबादी को खतरे वाली जगह से सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया था. उत्तरकाशी के असी और वरुणा नदियों के बीच वरुणावत पर्वत की तलहटी में बसा हुआ है. वरुणावत पर्वत पंचकोसी वारुणी यात्रा के साथ इस पर स्थित पौराणिक मंदिरों के लिए तो प्रसिद्ध है ही यह वर्ष 2003 के विनाशकारी भूस्खलन के लिए याद किया जाता है.

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