क्या लालू यादव ने फिर से बिहार में किया कांग्रेस के साथ खेल! जदयू भी दे रही नसीहत

महागठबंधन में इस बार अंतिम समय तक सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई. कांग्रेस और आरजेडी में सीटों को खींचतान चलती रही. ऐसा लग रहा था कि अंतिम समय में दोनों किसी एक नंबर पर सहमत हो जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. इस बीच तेजस्‍वी यादव ने 143 सीटों पर अपने उम्‍मीदवारों की घोषणा कर दी.

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लालू नहीं चाहते कांग्रेस बिहार में मजबूत हो!
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  • आरजेडी ने बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को दरकिनार कर 143 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है
  • कांग्रेस को महागठबंधन में केवल 61 सीटें मिली हैं, जो पिछले चुनाव की तुलना में कम हैं
  • अशोक चौधरी ने लालू यादव पर आरोप लगाया कि वे कांग्रेस को बिहार में मजबूत नहीं होने देना चाहते हैं
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नई दिल्‍ली:

लालू यादव ने क्‍या एक बार फिर बिहार चुनाव में कांग्रेस के साथ खेल कर दिया है? उम्‍मीदवारों की फाइनल लिस्‍ट देखकर कुछ ऐसा ही प्रतीत हो रहा है. बिहार विधानसभा चुनाव की बिसात पर मोहरे सेट हो गए हैं. सभी दलों ने अपने-अपने उम्‍मीदवारों के नाम घोषित कर दिये हैं. आरजेडी ने इस बार महागठबंधन के अन्‍य दलों को दरकिनार कर 143 सीटों पर ताल ठोक दी है. कांग्रेस के खाते में सिर्फ 61 सीटें आई हैं. बता दें कि 2020 बिहार विधानसभा  चुनाव में कांग्रेस को 70 सीटें मिली थीं. महागठबंधन के इस 'बिखरते बंधन' पर अब विपक्षी भी तंज कस रहे हैं.    

लालू नहीं चाहते कांग्रेस बिहार में मजबूत हो!

लालू यादव, जो खेल कर रहे हैं, उसे अशोक चौधरी जैसे वरिष्‍ठ नेता काफी पहले ही समझ गए थे. जेडीयू नेता और मंत्री अशोक चौधरी, आरजेडी और कांग्रेस के बीच चल रही खींचतान पर कहते हैं, 'इस बार चुनाव में कई सीटों पर कांग्रेस और आरजेडी आमने- सामने है. मैं आजीवन कांग्रेसी था, लेकिन कई लोग और मैं पार्टी छोड़कर चले आए, क्‍योंकि लालू यादव, कांग्रेस के प्रति ईमानदार नहीं हैं. लालू यादव कभी नहीं चाहते की कांग्रेस मजबूत हो और कांग्रेस का जो हक है उसे मिले. यही वजह है कि कई बड़े नेताओं ने कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया. कांग्रेस ने जितना समय आरजेडी के पीछे दिया है, उतना खुद को देती, तो कांग्रेस की स्थिति कुछ और होती. 

पप्‍पू यादव की नसीहत, कांग्रेस को आत्ममंथन की जरूरत 

महागठबंधन में सीटों को लेकर हुई खींचतान पर पप्‍पू यादव ने भी कांग्रेस को नसीहत दी है. पप्‍पू यादव ने कहा, 'महागठबंधन की जिम्मेदारी जिनके हाथों में है, उन्हें तालमेल बिठाने की जरूरत थी, लेकिन ऐसा देखने को नहीं मिला. महागठबंधन में जिस तरह से सीटों का बंटवारा हुआ है, वो किसी से छिपा नहीं है. इससे कार्यकर्ताओं में सिर्फ भ्रम की स्थिति बनी है और जमीनी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा है. अब समय आ गया है, जब कांग्रेस को आत्ममंथन करना चाहिए. कांग्रेस पार्टी को यहा देखना होगा कि क्या वह जनभावनाओं के अनुरूप काम कर रही है या सिर्फ सत्ता की राजनीति में उलझी है?

2020 में लालू ने ऐसे किया था कांग्रेस के साथ खेला

लालू राजनीति के बड़े और शानदार खिलाड़ी हैं, ये वह कई बार साबित कर चुके हैं. आरजेडी ने पिछले चुनाव में भी कांग्रेस के साथ खेला किया था. 2020 के चुनाव से पहले जब सीटों का बंटवारा हुआ, तो कांग्रेस को आरजेडी ने ज्‍यादातर शहरी सीटें दी थीं. ये ऐसी सीटें थी, जिनपर बीजेपी की बेहद मजबूत पकड़ थी. इनमें से कुछ सीटें तो ऐसी थीं, जिनपर बीजेपी की जीत पक्‍की मानी जा रही थी. कांग्रेस ने इस पर नाराजगी जाहिर की थी, लेकिन लालू ने इसे दरकिनार कर दिया था. ऐसे में जब कांग्रेस पार्टी मैदान में उतनी तो सिर्फ 19 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई. वहीं, आरजेडी अपनी मनपसंद सीटों पर चुनाव लड़ 75 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. 

इस बार तेजस्‍वी ने भी वहीं किया, जो...  

महागठबंधन में इस बार अंतिम समय तक सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई. कांग्रेस और आरजेडी में सीटों को खींचतान चलती रही. ऐसा लग रहा था कि अंतिम समय में दोनों किसी एक नंबर पर सहमत हो जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. इस बीच तेजस्‍वी यादव ने 143 सीटों पर अपने उम्‍मीदवारों की घोषणा कर दी. कांग्रेस के खाते में सिर्फ 61 सीटें आई हैं. इन 61 सीटों में से 5 सीटों पर कांग्रेस और आरजेडी आमने-सामने हैं. इस लिहाज से देखें तो आरजेडी ने कांग्रेस के लिए सिर्फ 56 सीटें छोड़ी हैं. ऐसा कम ही देखने को मिलता है, जब गठबंधन होने के बावजूद फ्रेंडली मुकाबला हो. 

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