EPF के 6 करोड़ खाताधारकों को एक ही बार में मिलेगा ब्याज,  NDTV से बोले केंद्रीय श्रम मंत्री 

अब सरकारी गजट में ब्याज दर को आधिकारिक रूप से अधिसूचित किया जाएगा, जिसके बाद ईपीएफओ मुख्यालय खाताधारकों के खातों में ब्याज जमा करने के लिए निर्देश देगा.

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केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ( Union Labour Minister Santosh Gangwar) ने कहा है कि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि  (EPF) का 8.5 फीसदी ब्याज एकमुश्त सभी 6 करोड़ खाताधारकों को एक बार में ही मिलेगा. NDTV से बात करते हुए गंगवार ने कहा, "मैंने 2019-2020 के लिए  ईपीएफ की इंटरेस्ट पेमेंट  एक बार में  8.5%  की दर से देने  के फैसले को नोटिफाई कर दिया है." 

श्रम मंत्री ने कहा कि आज ही केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मुलाकात की, जिसमें ईपीएफ के सभी 6 करोड़ खाताधारकों को एक बार में 8.5%  इंटरेस्ट पेमेंट एक ही इंस्टॉलमेंट में देने का फैसला लिया गया है. इससे पहले, 09 सितंबर, 2020 को, EPFO ​​सेंट्रल बोर्ड ने COVID-19 संकट का हवाला देते हुए कहा था कि 31 दिसंबर, 2020 के बाद ही EPF ग्राहकों को ब्याज भुगतान का एक हिस्सा दिया जाएगा. 

श्रम मंत्रालय ने 2019-20 के लिए ईपीएफ पर 8.5 प्रतिशत ब्याज देने का फैसला किया

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श्रम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "श्रम मंत्रालय ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के छह करोड़ से अधिक खाताधारकों के खाते में जमा करने के लिए 8.5 प्रतिशत की ब्याज दर को अधिसूचित करने का फैसला किया है." अधिकारी ने कहा कि वित्त मंत्रालय की सहमति मिलने के बाद ईपीएफ पर ब्याज की दर को श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने गुरुवार को अधिसूचना के लिए औपचारिक मंजूरी दे दी है.

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अब सरकारी गजट में ब्याज दर को आधिकारिक रूप से अधिसूचित किया जाएगा, जिसके बाद ईपीएफओ मुख्यालय खाताधारकों के खातों में ब्याज जमा करने के लिए निर्देश देगा. इस साल मार्च में ईपीएफओ ​​के निर्णय लेने वाले सर्वोच्च निकाय सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज ने गंगवार की अध्यक्षता में 2019-20 के लिए ईपीएफ पर 8.5 प्रतिशत ब्याज दर को मंजूरी दी थी.
इस साल सितंबर में ईपीएफओ ने गंगवार की अध्यक्षता में अपने ट्रस्टियों की बैठक में 8.5 प्रतिशत ब्याज को 8.15 प्रतिशत और 0.35 प्रतिशत की दो किस्तों में विभाजित करने का फैसला किया था. हालांकि, बाद में मंत्रालय ने एक बार में ही पूरे 8.5 प्रतिशत अंशदान को खाताधारकों के खातों में डालने का फैसला किया.

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