पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर केस को लेकर देशभर के डॉक्टरों और लोगों का आक्रोश सड़कों पर दिख रहा है. इस घटना के तीन दिन बाद आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हजारों की भीड़ घुस आई थी. भीड़ ने हॉस्पिटल स्टाफ से बदसलूकी की. मेडिकल सामानों में तोड़फोड़ भी हुई. CBI कोलकाता रेप-मर्डर केस की जांच कर रही है. आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई तोड़फोड़ के बाद डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर भी बहस तेज हो गई है. हॉस्पिटल में अपनी सुरक्षा को लेकर देशभर के रेजिमेंट डॉक्टरों ने कई दिन तक हड़ताल की थी. हालांकि, सरकार से बातचीत और सभी मांग मान लेने के बाद डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म कर दी है. इस बीच न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को ममता बनर्जी सरकार का 5 साल पुराना इंटर्नल मेमो मिला है. मेमो में सरकार ने मेडिकल इंस्टिट्यूट, कॉलेजों और हॉस्पिल में डॉक्टरों के साथ हिंसा को लेकर बड़े-बड़े वादे किए थे.
पांच साल पहले बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने डॉक्टरों के साथ हुई हिंसा की घटनाओं को कम करने के लिए कई कदम उठाने का वादा किया था. सरकार ने वादा किया था कि पब्लिक हॉस्पिटल के पास सिक्योरिटी इक्यूप्मेंट होंगे. फीमेल फीजिशियन यानी महिला डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए हॉस्पिटल में महिला गार्ड तैनात रहेंगी. हॉस्पिटल की एंट्री पॉइंट्स को कंट्रोल किया जाएगा. हालांकि, पांच साल बाद तक मेडिकल हॉस्पिटलों में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई. आरजी कर हॉस्पिटल में इनमें से कोई इंतजाम नहीं था.
आरजी कर हॉस्पिटल में सुरक्षा के नहीं हैं इंतजाम
रिपोर्ट के मुताबिक, आरजी कर हॉस्पिटल में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं. इस हॉस्पिटल में सिर्फ दो पुरुष गार्ड हैं. कुछ ट्रेनी डॉक्टरों के मुताबिक, हॉस्पिटल कैंपस में कुछ जगहों पर क्लोज सर्किट कैमरे (CCTV) लगे हुए हैं, लेकिन ये संवेदनशील जगहों को कवर नहीं करते.
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हालांकि, ट्रेनी डॉक्टर के रेप और मर्डर के बाद बाकी डॉक्टर और हॉस्पिटल के स्टाफ अपनी सुरक्षा को लेकर आवाज उठा रहे हैं. आरजी कर हॉस्पिटल की एक पोस्टग्रेजुएट डॉक्टर श्रेया शॉ कहती हैं, "मैं एक बार ड्यूटी के बाद रेस्टरूम में सो रही थी. उसमें लॉक लगाने का सिस्टम नहीं था. आधी रात करीब 3 बजे मुझे दो लड़कों ने झटका देकर उठाया. ये बहुत डरावना था."
सेमिनार हॉल में हुई थी लेडी डॉक्टर से दरिंदगी और हत्या
8-9 अगस्त की रात 36 घंटे की ड्यूटी के बाद लेडी ट्रेनी डॉक्टर अपनी थकान मिटाने के लिए हॉस्पिटल के सेकेंड फ्लोर में बने सेमिनार हॉल में सो रही थीं. सेमिनार हॉल में भी लॉक नहीं है. वहां सो चुके दो ट्रेनी डॉक्टरों ने बताया कि सेमिनार हॉल का लॉक नहीं काम करता. एसी भी उसकी खराब रहती है."
17 जून 2019 को बंगाल सरकार ने जारी किया था मेमो
साल 2019 में कोलकाता के दो अस्पतालों में डॉक्टरों पर मरीज के परिजनों ने हमला किया था. 17 जून 2019 को जारी किए गए स्टेट हेल्थ डिपार्टमेंट के इंटर्नल मेमो के मुताबिक, इन घटनाओं के बाद पश्चिम बंगाल की सरकार ने अस्पतालों में इफेक्टिव सिक्योरिटी इक्यूपमेंट और सिस्टम लगाने का वादा किया था. सरकार ने एंट्री को रेगुलेट करने और हिंसा के शिकार हुए मेडिकल स्टाफ के लिए मुआवजे का वादा किया था. हालांकि, दो पेज के डॉक्युमेंट में इस बात का जिक्र नहीं है कि ये किसे जारी किया गया है.
2021 के बाद से हुए कई काम
2019 के सुरक्षा उपायों के बारे में पूछे गए सवाल पर पश्चिम बंगाल के हेल्थ सेक्रेटरी एनएस निगम ने कहा, "कोरोना महामारी ने दो साल तक सुरक्षा उपायों पर असर डाला. लेकिन 2021 के बाद से कई काम किए गए हैं. ज्यादातर हॉस्पिटलों में CCTV कवरेज है. प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड भी तैनात हैं. हम बाकी काम भी करने के लिए प्रतिबद्ध हैं."
आरजी कर मामले के बाद यह अस्पताल सिखा रहा अपनी महिला स्टाफ को सेल्फ डिफेंस
आरजी कर मेडिकल कॉलेज की वारदात के बाद सीएम ममता बनर्जी ने 28 अगस्त को ऐलान किया था कि हेल्थ सुविधाओं को दुरुस्त करने के लिए 100.6 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. हॉस्पिटलों में महिला स्टाफ के रेस्ट करने का इंतजाम किया जाएगा. फीमेल सिक्योरिटी स्टाफ भी रखे जाएंगे. हालांकि, न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने जब इसे लेकर सीएम ऑफिस और आरजी कर हॉस्पिटल से संपर्क किया, तो कोई जवाब नहीं मिला.
मरीज की मौत या तबीयत बिगड़ने की स्थिति में होती है हिंसा
आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई वारदात के बाद 'रॉयटर्स' ने बंगाल और दूसरे राज्यों के गवर्नमेंट हॉस्पिटल की 14 महिला डॉक्टरों से बात की. इस दौरान उनसे हॉस्पिटल में सेफ्टी को लेकर सवाल किए गए. ज्यादातर महिला डॉक्टरों ने हॉस्पिटल में खराब माहौल के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि वो खराब परिस्थितियों में काम करती हैं. कई बार मरीज की मौत या तबीयत बिगड़ने की स्थिति में परिजन हिंसा पर उतर आते हैं. सरकारी हॉस्पिटलों में स्टाफ के रेस्ट के लिए कोई कमरा नहीं होता. लिहाजा उन्हें कम रोशनी में बेंच पर सोने के लिए मजबूर होना पड़ता है.
महिला डॉक्टर सेल्फ डिफेंस के लिए रख रहीं चाकू
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के चीफ आरवी असोकन ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "9 अगस्त को आरजी कर हॉस्पिटल में हुई वारदात के बाद कोई भी अस्पताल में घुस आता है. डॉक्टर भी इससे डरे रहते हैं. कई डॉक्टरों ने कोई इंतजाम नहीं होने पर अपना सेल्फ डिफेंस करना शुरू कर दिया है. ओडिशा के एक सरकारी हॉस्पिटल में एक लेडी डॉक्टर अपने साथ चाकू लेकर आती हैं, ताकि मुसीबत के समय वो अपना बचाव खुद कर सके." कोलकाता के एक मेडिकल कॉलेज की पोस्टग्रेजुएट ट्रेनी डॉ. गौरी सेठ कहती हैं, "9 अगस्त की घटना के बाद मैं बिना पेपर स्प्रे के ड्यूटी पर नहीं जाती."
सुप्रीम कोर्ट ने 20 अगस्त को दिया था टास्क फोर्स बनाने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने आरजी कर मामले पर 20 अगस्त को अपनी सुनवाई में बड़ी बात कही थी. कोर्ट ने कहा कि मौजूदा समय में महिला मेडिकल स्टाफ के लिए बड़ी चुनौतियां हैं. उन्हें वर्कप्लेस में कई बार सेक्सुअल हैरेसमेंट का सामना करना पड़ता है. कोर्ट ने मेडिकल वर्कर्स की सेफ्टी के लिए टास्क फोर्स बनाने का आदेश दिया है. हालांकि, सरकारी डेटा के मुताबिक अभी तक कोई काम नहीं हुआ है.
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