कोलकाता रेप: PM मोदी के लिए ममता की  'चिट्ठी नंबर 45' का मर्म क्या?

कोलकाता रेप-मर्डर मामले में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. पश्चिम बंगाल की ममता सरकार इस मुद्दे पर जहां केंद्र को पत्र लिख दवाब बनाने की तैयारी में दिख रही है वहीं केंद्र सरकार इस घटना को लेकर ममता सरकार को पहले ही जवाब दे चुकी है.

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नई दिल्ली:

कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और बाद में उसकी हत्या करने को लेकर देश भर में हुए प्रदर्शनों के बाद अब सबकी नजर CBI की जांच पर है. इन सबके बीच इस घटना को लेकर सियासत भी जारी है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अब महिला सुरक्षा के मुद्दे को उठाते हुए शुक्रवार को पीएम नरेंद्र मोदी को एक और चिट्ठी लिखी है. ममता बनर्जी ने इस चिट्ठी में अपने पुरानी चिट्ठी का जिक्र करते हुए  खासतौर पर महिला सुरक्षा की बात उठाई. उन्होंने कहा कि महिला सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार को और गंभीर होना चाहिए. ऐसा माना जा रहा है कि ममता बनर्जी ने महिला सुरक्षा के मुद्दे पर अब गेंद केंद्र सरकार के पाले में डालने की कोशिश की है. 

इस चिट्ठी के क्या हैं सियासी मायने

कोलकाता में बीते कुछ दिनों जो कुछ और उसे लेकर जिस तरह से देशभर में विरोध-प्रदर्शन का दौर चला, उससे इतना तो तय है कि आम जनता में उस घटना को लेकर काफी गुस्सा है और इसकी जानकारी हुक्मरानों को भी है. यही वजह है कि इस घटना को लेकर अब राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने से पीछे नहीं हट रहे हैं. बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की चिट्ठी का मतलब भी कहीं ना कहीं गेंद को केंद्र के पाले में ट्रांसफर करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि ममता बनर्जी ने अपने दूसरे पत्र में जिस भाषा का इस्तेमाल किया गया है, उससे ये नेरेटिव सेट करने की कोशिश की जा रही है कि केंद्र सरकार ही महिला सुरक्षा को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं दिख रही है जबकि केंद्र सरकार महिला सुरक्षा को लेकर अपना स्टैंड पहले ही क्लियर कर चुकी है. केंद्र के अनुसार, महिला सुरक्षा उनकी प्राथमिकताओं में से एक है. ममता बनर्जी ऐसे मामलों के निपटारे के लिए जिस फॉस्ट ट्रैक कोर्ट की मांग अब कर रही है, उसे केंद्र सरकार काफी पहले ही धरातल पर उतार चुकी है.

कोलकाता रेप कांड पर घिरी है ममता सरकार

आपको बता दें कि बीते दिनों कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और फिर हत्या को लेकर पश्चिम बंगाल की ममता सरकार पर सवाल खड़े हो रहे हैं. इस घटना को लेकर एक तरफ कोलकाता से लेकर देश के अन्य हिस्सों में पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग कर रही है. वहीं पश्चिम बंगाल में विपक्ष भी टीएमसी पर निशाना साध रहा है. विपक्ष इस घटना को राज्य सरकार की नाकामी और लचर कानून व्यवस्था से जोड़कर देख रही है.

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केंद्र को पहले भी चिट्ठी लिख चुकी हैं ममता बनर्जी 

कोलकात रेप-हत्या कांड को लेकर सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले भी केंद्र सरकार को पत्र लिख चुकी हैं. उस चिट्ठी में ममता बनर्जी ने रेप करने वालों को सजा देने के लिए एक कड़े कानून की मांग की थी.ममता बनर्जी ने अपनी पहली चिट्ठी में बालात्कारियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के लिए कड़े कानून बनाने की मांग करते हुए कहा था कि ऐसे आरोपियों को 15 दिन के भीतर ही कड़ी सजा दिलाई जानी चाहिए. इसके लिए हम ऐसे कानून बनाने होंगे. ममता बनर्जी ने अपने पहले पत्र में फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना पर विचार करने की भी बात की थी. 

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केंद्र सरकार ने ममता सरकार को दिया था करारा जवाब 

ममता बनर्जी की पहली चिट्ठी को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से जवाब दिया गया था. केंद्र सरकार ने ममता सरकार को करारा जवाब देते हुए कहा था कि रेप और बाल यौन अपराध के मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए 123 फास्ट-ट्रैक कोर्ट आवंटित किए गए हैं. लेकिन इनमें से कई ऐसे हैं जो अभी भी काम नहीं कर रहे हैं.इसके अलावा केंद्र सरकार ने अन्य प्वाइंट्स को भी हाइलाइट करते हुए पश्चिम बंगाल सरकार को एक जवाब लिखा था.  

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