कर्नाटक में बीजेपी सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए धार्मिक अधिकार संरक्षण बिल 2021 पेश किया. इस बिल में जबरन धर्मांतरण के लिए 3 से 10 साल तक की सजा और 5 लाख रुपए तक का जुर्माना तय किया गया है. इसके अलावा यह भी स्पष्ट किया गया है कि किन परिस्थितियों में धर्मांतरण को कानूनन गलत माना जाएगा. इसमें किसी भी तरह का प्रलोभन, नौकरी, मुफ्त शिक्षा या विवाह आदि का लालच शामिल है. वहीं अगर कोई व्यक्ति स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करना चाहता है तो उसे इसकी जानकारी जिला डीसी कार्यालय में दो महीना पहले से देनी होगी. इस बिल के बारे में यहां पढ़ें खास बातें -
1. धर्मांतरण के लिए किसी भी तरह के प्रलोभन, चाहे वो उपहार के रूप में हो या आर्थिक मदद के तौर पर या फिर किसी और रूप में, इसकी अनुमति नहीं होगी.
2. धर्मिक संस्थान की और से उनके शैक्षिणिक संस्थानों में नौकरी या मुफ्त शिक्षा का प्रलोभन.
3. किसी और धर्म के खिलाफ दूसरे धर्म का महिमा मंडन करना.
4. शादी करवाने का वादा या फिर बेहतर जीवन या दैवीय मदद का भरोसा.
सजा का प्रावधान
1. जनरल केटेगरी वाले शख्स का धर्मान्तरण कराने वाले आरोपी को 3 से 5 साल तक की सजा दी जा सकती है, साथ में कम से कम 25 हजार का जुर्माने का प्रावधान किया गया है. SC /ST, नाबालिग, महिला और मानसिक रूप से कमजोर शख्स का धर्मांतरण कराने वाले आरोपी को 3 साल से 10 साल तक की सजा ,साथ ही कम से कम 50 हजार रुपये जुर्माना लगाया जा सकता है.
2. सामूहिक धर्मांतरण के आरोपियों को 3 से 10 साल तक की सजा और 1 लाख रुपये जुर्माना.
3. धर्मांतरण के आरोप साबित होने पर दोषी की ओर से पीड़ित को 5 लाख रुपए तक बतौर मुवावजा देने का प्रावधान भी इस बिल में है.
4. अगर शादी सिर्फ धर्मांतरण के लिए की गई होगी तो उस शादी को रद्द करने का भी प्रावधान है.
स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन
वहीं अगर कोई शख्स अपनी मर्जी से धर्मान्तरण करना चाहता है तो उसे इसकी सूचना अपने जिले के डीसी कार्यालय को दो महीने पहले देनी होगी, जिसके बाद डीसी इसकी पुलिस जांच कराएंगे और अगर वजह सही पाई गई तो उस शख्स को धर्म बदलने की इजाजत दी जाएगी. जो धर्म गुरू धर्म परिवर्तन करवाएगा उसे DC कार्यालय में 1 महिने पहले इसकी लिखित सूचना देनी होगी.