असम में 'किंगमेकर' बोडो पीपुल्स फ्रंट कांग्रेस गठबंधन में हुई शामिल, BJP को दी चुनौती

असम में 2005 के बाद से लगातार पिछले तीन विधानसभा चुनाव में Bodo People's Front जिस भी गठबंधन में रही है, उसी ने चुनाव में जीत हासिल की है

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हंग्रामा मोहिलारी की अगुवाई वाली BPF ने वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का दामन थामा था
गुवाहाटी:

Assam Assembly Election 2021 :असम की राजनीति में किंगमेकर कहे जाने वाले हंग्रामा मोहिलारी की बोडो पीपुल्स फ्रंट (Bodo People's Front) ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है. बीपीएफ कांग्रेस (Congress) की अगुवाई वाली महाजथ (महागठबंधन) में औपचारिक तौर पर शामिल हो गई है. असम सरकार में बीपीएफ तकनीकी तौर पर विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने तक BJP की सरकार में बनी हुई है, लेकिन इसे शनिवार को भंग घोषित कर दिया गया.

गुवाहाटी में रविवार को कांग्रेस नेताओं के साथ संयुक्त प्रेस कान्फ्रेंस में मोहिलारी (Hagrama Mohilary) ने कहा, बीजेपी कैसे चुनाव जीत सकती है, जब हम उनके साथ नहीं हैं, हम असम में बीजेपी की विदाई भी देखेंगे? असम में 2005 के बाद से लगातार पिछले तीन विधानसभा चुनाव में बोडो पीपुल्स फ्रंट जिस भी गठबंधन में रही है, उसी ने चुनाव में जीत हासिल की है. हंग्रामा मोहिलारी की अगुवाई वाली BPF ने वर्ष 2016 के असम विधानसभा चुनाव में BJP का दामन थामा था. लेकिन अब वह फिर कांग्रेस  (Congress) के गठबंधन में लौट आई है.

कांग्रेस ने इस बार महागठबंधन में अपनी प्रतिद्वंद्वी समझी जाने वाली ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रिटिक फ्रंट (AIUDF) भी शामिल है. बदरुद्दीन अजमल की अगुवाई वाली  AIUDF के अलावा क्षेत्रीय दल आंचलिक गण मोर्चा और तीन वामपंथी दल सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई (एमएल) भी गठबंधन में शामिल हैं. तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली राजद भी गठबंधन से जुड़ने को इच्छुक दिखाई दे रही है. असम में कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा कि बेहतरी के लिए असम का भाग्य बदलने वाला है. कई छोटी नदियां आपस में मिलकर एक बड़ी धारा तैयार करेंगी.

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बीजेपी और बीपीएफ के बीच गठबंधन में दरारें जनवरी 2020 में दिखना शुरू हो गई थीं, जब केंद्र और असम सरकार ने आत्मसमर्पण करने वाले नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. समझौते के तहत बोडोलैंड टेरीटोरियल रीजन बाउंड्रीज के परिसीमन का प्रावधान भी है. कहा जा रहा है कि इस पूरे संवाद में बीपीएफ को पूरी तरह दरकिनार रखा गया, जिसका बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद (Bodoland Territorial Council) में अभी तक प्रभाव रहा है.

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BPF और BJP के बीच रिश्तों में दरारें दिसंबर में बोडोलैंड टेरीटोरियल काउंसिल के चुनाव के दौरान आईं, जब बीजेपी ने उसके खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारे. बीजेपी ने तब यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल और गण सुरक्षा पार्टी के साथ मिलकर बोडोलैंड काउंसिल गठित की. बीपीएस सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद काउंसिल की कमान हाथ में नहीं ले पाई.

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