केरल के पास अरब सागर में डूबते जहाज से क्यों मचा हुआ है हड़कंप?

जॉर्ज ने बताया कि मानसून आमतौर पर उच्च समुद्री उत्पादकता का समर्थन करता है, उन्होंने कहा कि यह इस बात पर निर्भर करेगा कि जहाज के रिसाव को कैसे रोका जा सकता है. शुरुआती जांच करने के लिए, CMFRI क्षेत्र सर्वेक्षण करेगा, नमूने इकट्ठा करेगा, और रिसाव की गति को ट्रैक करेगा.

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नई दिल्ली:

कोच्चि के तट के पास अरब सागर में शनिवार को एमएससी ईएलएसए 3 कंटेनर जहाज के डूबने से समुद्री और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा, मुख्य रूप से मछली पकड़ने पर. विशेषज्ञों ने रविवार को इसकी जानकारी दी.

टाइम्स ऑफ इंडिया कि रिपोर्ट के मुताबिक कोच्चि स्थित केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) के निदेशक ग्रिंसन जॉर्ज ने कहा कि हालांकि बहुत कुछ कैल्शियम कार्बाइड, डीजल और फर्नेस ऑयल के खतरनाक माल को ले जाने वाले जहाज से होने वाले रिसाव के स्तर पर निर्भर करता है, लेकिन इससे संवेदनशील समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर असर पड़ सकता है.

जॉर्ज ने कहा, "तेल रिसाव से संवेदनशील समुद्री प्रजातियों को खतरा हो सकता है और मछली पकड़ने की गतिविधियों में समस्या आ सकती है, खासकर तटीय क्षेत्रों में मछली पकड़ने वाले कारीगरों पर इसका मुख्य रूप से असर देखने को मिल सकता है. अगर तेल रिसाव फैलता है, तो यह समुद्री उत्पादकता को नुकसान पहुंचा सकता है, खासकर मानसून के दौरान - जो पेलाजिक मछली के प्रजनन और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण अवधि है. इससे मत्स्य पालन पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है."

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जॉर्ज ने बताया कि मानसून आमतौर पर उच्च समुद्री उत्पादकता का समर्थन करता है, उन्होंने कहा कि यह इस बात पर निर्भर करेगा कि जहाज के रिसाव को कैसे रोका जा सकता है. शुरुआती जांच करने के लिए, CMFRI क्षेत्र सर्वेक्षण करेगा, नमूने इकट्ठा करेगा, और रिसाव की गति को ट्रैक करेगा.

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बता दें कि जुलाई 2020 में मॉरीशस के तट पर डूबे जहाज वाकाशियो के स्थल से बहुत कम सल्फर ईंधन तेल रिसाव (वीएलएसएफओ) के दीर्घकालिक प्रभाव पर एक अध्ययन में दूषित तलछट और मैंग्रोव दिखाई देते हैं. डूबने के तीन साल बाद हाल ही में एल्सेवियर के समुद्री प्रदूषण बुलेटिन में यह अध्ययन प्रकाशित हुआ था. जनवरी 2020 से वैश्विक सल्फर कैप के प्रभावी होने के बाद से यह दुनिया का पहला बड़ा वीएलएसएफओ रिसाव था.

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ऐसे मामलों में, फैले हुए तेल के स्थानों को जानना तथा मैंग्रोव और संबंधित पौधों और जानवरों के स्वास्थ्य की जांच के साथ ऐसे स्थलों की निगरानी करना जरूरी हो जाता है.

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क्या है पूरा मामला 

दरअसल, खतरनाक सामग्री से भरे 13 कंटेनर समेत कुल 640 कंटेनर लेकर जा रहा लाइबेरियाई मालवाहक जहाज पलटने के बाद 25 मई की सुबह केरल तट के पास समुद्र में डूब गया जिससे बड़े पैमाने पर तेल रिसाव हुआ है. केरल सरकार ने पूरे राज्य में अलर्ट जारी कर दिया है और मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है. तटरक्षक बल तेल रिसाव को रोकने के लिए काम कर रहा है.

नौसेना के जहाज द्वारा तीन और चालक दल के सदस्यों को बचाए जाने के साथ ही सभी 24 सदस्यों को बचा लिया गया है. तटरक्षक बल द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि 25 मई 2025 की सुबह जहाज ‘एमएससी ईएलएसए 3' तेजी से झुकने लगा और आखिरकार पलटने के बाद डूब गया. इस घटना के कारण तेल का काफी रिसाव हुआ है, जिसमें ईंधन का बहाव लगभग तीन किलोमीटर प्रति घंटे की गति से हो रहा है. इसके कारण अधिकारियों को केरल तटरेखा पर पड़ने वाले संभावित असर के लिए तैयार रहना होगा.

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