केरल उच्च न्यायालय ने लक्षद्वीप की फिल्मकार आयेशा सुल्ताना (Ayesha Sultana) के विरुद्ध दर्ज राजद्रोह के मामले की सुनवाई पर रोक लगाने से शुक्रवार को इनकार कर दिया. कवरत्ती पुलिस थाने में दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने के लिए सुल्ताना ने याचिका दायर की थी. इस याचिका पर विचार करते हुए अदालत ने कहा कि मामले की जांच प्रारंभिक चरण में है तथा जांच पूरी करने के लिए अधिक समय लग सकता है. मामले की सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार करते हुए अदालत ने लक्षद्वीप प्रशासन को जांच का विवरण सौंपने का आदेश दिया. अदालत ने गत सप्ताह राजद्रोह के मामले में सुल्ताना को अग्रिम जमानत दे दी थी.
इससे पूर्व लक्षद्वीप की फिल्म निर्माता आयशा सुल्ताना के खिलाफ दर्ज देशद्रोह के मामले में केरल हाईकोर्ट ने उन्हें अग्रिम जमानत दे दी थी. दरअसल, आयशा सुल्ताना ने प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल की कोरोना को लेकर आलोचना की थी. साथ ही उन्होंने प्रफुल्ल को केंद्र सरकार द्वारा भेजा गया- 'जैव-हथियार' (बायो वेपन) बताया था. पुलिस ने इस मामले में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की शिकायत पर मामला दर्ज किया था.
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लक्षद्वीप के प्रशासक को कहा था - बायो वेपन
आयशा ने एक चैनल पर डिबेट के दौरान प्रफुल्ल पटेल और केंद्र सरकार पर कमेंट किया था. उन्होंने कहा था लक्षद्वीप में कोविड-19 के शून्य मामले थे. अब ये बढ़कर रोजाना 100 हो गए हैं. मैं स्पष्ट रूप से कह सकती हूं कि केंद्र सरकार ने बायो वेपन तैनात किया है. उनकी टिप्पणी का बीजेपी कार्यकर्ताओं ने काफी विरोध किया था. बीजेपी के लक्षद्वीप प्रमुख सी अब्दुल खादर हाजी ने पुलिस से शिकायत की थी कि उन पर राष्ट्र विरोधी टिप्पणी और केंद्र सरकार की छवि धूमिल करने का आरोप लगाया था.
जबकि इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हए लक्षद्वीव की फिल्म निर्माता ने कहा था कि उन्होंने मेरे खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया है. मैं फिर कहना चाहती हूं कि सच्चाई की जीत होगी. मैं इस भूमि के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रहूंगी जहां मेरा जन्म हुआ. हम किसी से नहीं डरते. मेरी आवाज अब तेज ही होगी. प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को दिसंबर में लक्षद्वीप का प्रशासक नियुक्त किया गया था. उन्हें कई फैसलों के चलते विरोध का सामना करना पड़ रहा है.