केरल हाईकोर्ट ने केंद्र तथा राज्य सरकार से उस याचिका पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है, जिसमें दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के तहत, एसएसएलसी और उच्च माध्यमिक परीक्षाओं में विशेष सहायता की दरकार रखने वाले बच्चों के लिए नियम बनाने का अनुरोध किया गया है.
एक दिव्यांग छात्र की ओर से दायर की गई इस याचिका में पर्चा लिखने के लिए किसी विशेष व्यक्ति की व्यवस्था करने सहित अन्य सुविधाओं के लिए दिव्यांगता की न्यूनतम सीमा तय ना करने का अनुरोध भी किया गया है.
उच्च न्यायालय ने केंद्र तथा राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया और जनहित याचिका पर अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया. याचिका में दावा किया गया कि इस दक्षिण राज्य में अब भी एसएसएलसी और उच्च माध्यमिक परीक्षाओं में विशेष सुविधाएं 40 प्रतिशत तक विकलांग लोगों को ही दिए जाने का प्रावधान है.
छात्र ने कहा कि तत्कालीन मौजूदा दिशानिर्देशों पर फिर से विचार करने और उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप नए दिशानिर्देश जारी करने के उच्च न्यायालय के 2021 के आदेश के बावजूद नियम नहीं बदले गए. उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार अधिनयम के तहत मिलने वाली सुविधाएं केवल न्यूनतम 40 प्रतिशत विकलांग लोगों तक ही सीमित नहीं हो सकती.
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