"अगर पढ़ाई-लिखाई ठीक ढंग से हो तो..." हिजाब और अजान पर बोले गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान

केरल के राज्यपाल ने कहा कि अगर उचित शिक्षा दी जाए तो लोग अपना ख्याल रख सकते हैं.ये सभी चीजें जनता का शोषण करने के लिए हैं.

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HIjab Azaan Row : केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने हिजाब विवाद पर प्रतिक्रिया दी
नई दिल्ली:

कर्नाटक (Karnataka) समेत देश के कई हिस्सों में हिजाब और महाराष्ट्र में मस्जिदों से लाउडस्पीकर पर अजान पर रोक की मांग को लेकर विवाद पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (Kerala Governor Arif Mohammad Khan) ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. खान ने कहा कि हिजाब विवाद लोगों का शोषण करने के लिए है और ऐसी परेशानियों से बचने के लिए लोगों की अच्छी पढ़ाई लिखाई जरूरी है. एनडीएमसी सभागार में आयोजित लोक संसद कार्यक्रम से इतर खान ने कर्नाटक में अजान के बारे में पूछे जाने पर कहा कि ये कोई मुद्दा नहीं है. कुछ दक्षिणपंथी संगठनों और बीजेपी नेताओं ने मस्जिदों से लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल को रोकने की मांग की है. उनका कहना है कि आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए ये परेशानी का सबब बनता है.

कर्नाटक में अजान के विरोध पर खान ने कहा, इसके बारे में बात करने से उन लोगों को मदद मिल रही है. क्या आप उनकी मदद करना चाहते हैं. केरल के राज्यपाल ने कहा कि अगर उचित शिक्षा दी जाए तो लोग अपना ख्याल रख सकते हैं.ये सभी चीजें जनता का शोषण करने के लिए हैं. अगर आप लोगों को ठीक से शिक्षित करेंगे, तो वे अपना ख्याल रखेंगे. खान ने कहा कि बाधाएं आती रहती हैं लेकिन भारत का आगे बढ़ना तय है.

लोक संसद में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए खान ने पहले कहा था कि भारत में एक बार फिर विश्व गुरु बनने की क्षमता है. भारत में एक बार फिर विश्व गुरु बनने की क्षमता है और इसके लिए हमारी ज्ञान परंपरा को छिपाने की प्रवृत्ति को त्यागने की जरूरत है. यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि देश में कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे.

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कार्यक्रम में मौजूद दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि शिक्षा लोगों की प्राथमिकता बन गई है लेकिन यह अभी तक राष्ट्रीय, प्रशासनिक, राजनीतिक प्राथमिकता नहीं है.देश में शिक्षण संस्थानों द्वारा प्रदान की जा रही शिक्षा की गुणवत्ता की एक निचली रेखा खींचने की जरूरत है. उन्होंने कहा, “भारत एक विकासशील राष्ट्र से विकसित राष्ट्र की ओर तब तक नहीं बढ़ सकता जब तक कि बच्चों को शिक्षा की गुणवत्ता प्रदान करने का एक मानक न हो.

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