केदारनाथ की दूरी 11 किमी तक घटेगी, 7 किमी लंबी सुरंग बनाने पर विचार, दूसरी सुरंग लैंडस्लाइड से बचाएगी

केदारनाथ पहुंचने के लिए एक सुरंग कालीमठ से सोनप्रयाग तक प्रस्तावित है, जिसकी लंबाई करीब 7 किलोमीटर होगी. इसके अलावा सीतापुर से गौरीकुंड तक सुरंग, सड़क और पुलों का निर्माण करने पर भी विचार चल रहा है.

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  • केदारनाथ यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए दो सुरंग बनाने पर विचार चल रहा है.
  • कालीमठ से सोनप्रयाग तक प्रस्तावित सुरंग लगभग 7 किमी लंबी होगी. इसका एलाइनमेंट बन गया है.
  • इसके अलावा सीतापुर से गौरीकुंड तक सुरंग, सड़क और पुल बनाने पर भी विचार किया जा रहा है.
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केदारनाथ यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने दो सुरंगों के निर्माण का प्रस्ताव तैयार किया है. इन सुरंगों के बनने से श्रद्धालुओं को ट्रैफिक जाम और भूस्खलन जैसी समस्याओं से राहत मिलेगी. एक सुरंग कालीमठ से सोनप्रयाग तक प्रस्तावित है, जिसकी लंबाई करीब 7 किलोमीटर होगी. दूसरे सीतापुर से गौरीकुंड तक सुरंग, सड़क और पुलों का निर्माण करने पर विचार चल रहा है. इससे केदारनाथ की दूरी 8 से 11 किलोमीटर तक कम हो सकती है.

लैंडस्लाइड, ट्रैफिक से बचाएंगी सुरंग

केदारनाथ धाम में यात्रियों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है. ऐसे में ट्रैफिक जाम की समस्या भी गंभीर हो गई है. इसके अलावा मानसून सीजन में केदारनाथ के पैदल रूट और सड़क मार्ग पर अक्सर भूस्खलन होता है. पत्थर-मलबा गिरने से रास्ते अवरुद्ध हो जाता है. यात्रियों को परेशानी के अलावा कई बार बड़ी दुर्घटनाएं भी हो जाती हैं. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए अब सुरंग बनाने का विचार किया जा रहा है.  

काली मठ से सोनप्रयाग तक सुरंग

जानकारी के मुताबिक, काली मठ से सीधे सोनप्रयाग तक 7 किलोमीटर लंबी टनल बनाने का विचार किया जा रहा है. इसके लिए एलाइनमेंट भी तैयार कर लिया गया है. वहीं, सीतापुर से गौरीकुंड तक सुरंग, सड़क और पुल बनाने के लिए तीन से चार एलाइनमेंट हो चुके हैं. जानकारी के मुताबिक, इन कार्यों के लिए प्री-फिजिबिलिटी सर्वे हो चुका है. पूरा डाटा भी तैयार कर लिया गया है. एक-डेढ़ हफ्ते में प्रस्ताव तैयार करके भारत सरकार को देना है. हरी झंडी मिलने के बाद इन महत्वाकांक्षी परियोजनाओं पर काम शुरू किया जा सकेगा.

कालीमठ से सोनप्रयाग और सीतापुर से गौरीकुंड तक का रास्ता. साभार Google Earth

2013 की आपदा से पहले गौरीकुंड से केदारनाथ का पैदल मार्ग 14 किलोमीटर का हुआ करता था. इसमें गौरीकुंड से जंगल चट्टी, जंगल चट्टी से भीम बाली, भीम बाली से रामबाड़ा, रामबाड़ा से गरुड़ चट्टी होते हुए केदारनाथ तक पैदल चढ़ाई करनी होती थी. लेकिन 2013 की आपदा के बाद रामबाड़ा और गरुड़ चट्टी का रास्ता आपदा की भेंट चढ़ गया. 

मंदिर पहुंचने के लिए अब 21 किमी का रूट

अब केदारनाथ तक पहुंचने का नया रास्ता 21 किलोमीटर लंबा है, जो गौरीकुंड, जंगल चट्टी, भीम बाली, रामबाड़ा, छोटी लिनचोली, बड़ी लिनचोली, रुद्रा पॉइंट होकर केदारनाथ मंदिर तक जाता है. इस पैदल रूट पर कई जगहें ऐसी हैं, जहां अक्सर लैंडस्लाइड होता रहता है. इनमें गौरीकुंड से भीम बाली तक का रास्ता ज्यादा खराब है. दूसरी तरफ सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच में भी लैंडस्लाइड ज़ोन है

कालीमठ से सोनप्रयाग तक सुरंग बनने के बाद अन्य रास्तों के लिए भी इसी तरह की परियोजनाएं बनाने की संभावनाएं जताई जा रही हैं. इन सुरंगों और रास्तों को बनाने का मकसद लैंडस्लाइड जोन में जान-माल की हिफाजत करना और ट्रैफिक जाम से बचाना है. 

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