काशी विश्वनाथ कॉरिडोरः पीएम मोदी के पहुंचने से पहले युद्ध स्तर पर खत्म किया जा रहा काम

इस परियोजना के बचे हुए कामों को खत्म करने के लिए 24 घंटे का समय बहुत नाकाफी है. घाट पर काम करने वाले एक मजदूर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि परियोजना को पूरा होने में कम से कम चार महीने और लगेंगे.

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काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना शहर में दो प्रतिष्ठित स्थलों को जोड़ती है.
वाराणसी:

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना के बचे हुए काम युद्ध स्तर पर खत्म किए जा रहे हैं. इस परियोजना के तहत काशी विश्वनाथ मंदिर को गंगा घाटों से जोड़ा जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 800 करोड़ रुपये की परियोजना के उद्घाटन के लिए 24 घंटे से भी कम समय बचा रहा गया है. पीएम मोदी वाराणसी लोकसभा से सांसद हैं. उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को अपनी प्रमुख उपलब्धियों में गिना सकती है.

बताया जा रहा है कि पार्टी के शीर्ष नेताओं और सभी भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को शक्ति प्रदर्शन के लिए भी बुलाया गया है.

हालांकि, इस परियोजना के बचे हुए कामों को खत्म करने के लिए 24 घंटे का समय बहुत नाकाफी है. घाट पर काम करने वाले एक मजदूर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि परियोजना को पूरा होने में कम से कम चार महीने और लगेंगे. मजदूर ने कहा, "मोदीजी आएंगे, स्थानीय प्रशासन जो उन्हें दिखाएगा.. वो वही देखेंगे."

परियोजना के उद्घाटन में देरी नहीं की जा सकती क्योंकि भाजपा को आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले इसके बार में लोगों को बताना है. बता दें कि इस वाराणसी यात्रा के साथ प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश में पिछले महीने में नौ दिन बिताए हैं. चुनाव का समय करीब आते देख योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली राज्य सरकार एक के बाद एक चुनावी कार्यक्रम आयोजित करती जा रही है. इन चुनावी कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री भाजपा के प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. मुख्य रूप से उनके निशाने पर अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी है.

काशी विश्वनाथ मंदिर के परियोजना स्थल पर और भी अन्य ऑफबीच चीजें देखने को मिलीं. बात करते हैं बिहार के 40 वर्षीय सुनील कुमार की. सुनील छह महीने से इस परियोजना में मजदूर के रूप में काम कर रहे हैं. काम पूरा करने की होड़ में सुनील और अन्य को पांच मिनट का ही ब्रेक मिल रहा है. सुनील कुमार ने काम पर लौटने से पहले कहा, "मैं बहुत खुश हूं. यह बहुत अच्छा है कि मंदिर के बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ है. मैंने अपने परिवार को बहुत सारे वीडियो भेजे हैं. मैंने सोशल मीडिया पर भी एक पोस्ट किया है. हर कोई जिसने वीडियो को देखा है वह खुश है."

इस परियोजना की आधारशिला 2019 में रखी गई थी. इसके बाद वाराणसी के एक भीड़भाड़ वाले हिस्से में घरों और छोटे मंदिरों के अधिग्रहण की एक मुश्किल प्रक्रिया को पूरा किया गया. शुरुआत में कई लोग अपने घरों के अधिग्रहण से परेशान थे. जिनमें से कई घरों में मंदिर थे. लेकिन अंततः सभी को मनाते हुए अधिग्रहण का काम पूरा कर लिया गया.

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अच्युत मोहन दास वाराणसी के इस्कॉन मंदिर के पुजारी हैं. रविवार को उन्होंने भक्तों के एक समूह के साथ कॉरिडोर के उद्घाटन से पहले मंदिर में नाच-गाने का कार्यक्रम किया.

भव्य आयोजन के समय और इसके राजनीतिक मायनों पर पूछे जाने पर, उन्होंने कहा, "मैं इस मामले में विशेषज्ञ नहीं हूं. लेकिन मुझे अच्छा लगता है क्योंकि कम से कम इसके माध्यम से काशी का नाम, विश्वनाथ जी का नाम चारों ओर फैल रहा है. इसे शुद्धि कहते हैं, आप दवा का उपयोग इस तरह करें या उस तरह.. यह काम करती है."

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प्रसिद्ध अस्सी घाट पर नाव पर सवार अधिवक्ता आशुतोष पांडे ने एक सवाल किया. "बस संख्या फेंकना, 800 करोड़, 900 करोड़ पर्याप्त नहीं है. आपको एक जगह का आकर्षण, उसकी ऐतिहासिक प्रकृति को बनाए रखना होगा. उस पर चर्चा क्यों नहीं की जा रही है?"

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