बीएस येदियुरप्पा की कुर्सी जाने की अटकलों से 'इम्पोर्ट' किए मंत्री हैं नर्वस, जानें क्या कहा

सीएम येदियुरप्पा ने कहा था कि पार्टी ने उनके काम पर भरोसा करके 75 की उम्र पार करने के बावजूद मौका दिया. 25 जुलाई को उनकी सरकार के दो वर्ष पूरे हो रहे हैं. आलाकमान जो निर्देश देगा, वे उसका पालन करेंगे. उन्होंने ये भी कहा कि पार्टी के लिए वह काम करते रहेंगे.

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बीएस येदियुरप्पा ने कुर्सी जाने के संकेत दिए
बेंगलुरु:

उत्तराखंड के बाद अब कर्नाटक ( Karnataka) में भी सीएम बदलने के अटकलें लग रही हैं. मुख्यमत्री येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) ने खुद ही संकेत दिए हैं कि आने वाला सप्ताह सीएम के रूप में उनके आखिरी दिन हो सकते हैं. इसके साथ ही वे लोग अब घबराने लगे हैं जो एडी कुमारस्वामी की सरकार को गिराकर कांग्रेस या जनता दल सेक्युलर से बीजेपी सरकार में शामिल हुए. येदियुरप्पा खुद एक अनिश्चितता के दौर में जी रहे हैं इसलिए उन्होंने ये संकेत दिया. इस घटनाक्रम पर पैनी नजर रखने वाले मंत्रियों ने शाम को कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी.

कांग्रेस छोड़कर सरकार में स्वास्थ्यमंत्री बने डॉ के सुधाकर ने कहा कि कैबिनेट  की बैठक के बाद कुछ मंत्री सीएम से मुलाकात करने गए. हम उस बयान के बारे में जानना चाहते थे, जो उन्होंने सुबह मीडिया के सामने दिया था. येदियुरप्पा ने कहा था कि पार्टी ने उनके काम पर भरोसा करके 75 की उम्र पार करने के बावजूद मौका दिया. 25 जुलाई को उनकी सरकार के दो वर्ष पूरे हो रहे हैं. आलाकमान जो निर्देश देगा, वे उसका पालन करेंगे.

दूसरी पार्टियों से बीजेपी में शामिल होने वाले नेताओं  के लिए इसका क्या अर्थ है, इस पर डॉ सुधाकर ने कहा- हमें हमारे नेता येदियुरप्पा पर विश्वास था और इसलिए हम आए. साथ ही हम पार्टी के रूप में बीजेपी के सिद्धांतों और विचारधारा से सहमत थे. यही मूल आधार है, जिसके लिए हम आए हैं. सिर्फ सत्ता या किसी व्यक्ति के लिए बीजेपी से नहीं जुड़े हैं.

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यह पूछे जाने पर कि क्या बीएस येदियुरप्पा के पद छोड़ने पर वे इस्तीफा देंगे, एक अन्य पूर्व कांग्रेसी और कृषि मंत्री बीसी पाटिल ने कहा कि "हमें इस्तीफा क्यों देना चाहिए? क्या हुआ? बिना किसी कारण के इस्तीफा कौन देगा? कोई पागल नहीं है. कोई भी यहां मूर्ख नहीं है. हम सभी सम्मानित लोग हैं. हम सभी विधायक, मंत्री हैं. हमें इस्तीफा क्यों देना चाहिए?"

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2019 में 17 विधायक उस गठबंधन से बाहर निकले और लगभग सभी भाजपा में शामिल हो गए. उनमें से अधिकांश ने अपनी पुरानी सीटों पर उपचुनाव लड़ा और कइयों को मंत्रिपद दिया गया था, जैसा कि येदियुरप्पा ने वादा किया था.

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