कर्नाटक: हिजाब के बाद अब स्कूल में बाइबिल को लेकर विवाद, हिंदू संगठन ने किया विरोध

हिंदू जनजागृति समिति के राज्य प्रवक्ता, गौड़ा ने आरोप लगाया कि स्कूल ने गैर-ईसाई छात्रों को अनिवार्य रूप से बाइबिल ले जाने और पढ़ने के लिए कहा है, जो संविधान के अनुच्छेद 25 और 30 का उल्लंघन है.

विज्ञापन
Read Time: 24 mins

क्लेरेंस हाई स्कूल के प्रिंसिपल ने कहा कि हम एक शांतिप्रिय और कानून का पालन करने वाले स्कूल हैं.

बेंगलुरु (कर्नाटक):

कर्नाटक में स्कूलों में हिजाब के बाद राज्य में एक नया विवाद खड़ा हो गया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि बेंगलुरु के एक स्कूल ने माता-पिता से अंडरटेकिंग ली थी कि वे अपने बच्चों के क्लास में बाइबिल ले जाने पर आपत्ति नहीं करेंगे. हिंदू जनजागृति समिति ने सोमवार को बेंगलुरु के क्लेरेंस हाई स्कूल के प्रशासन पर छात्रों के लिए बाइबिल ले जाना अनिवार्य करने का आरोप लगाया. समिति के राज्य प्रवक्ता, गौड़ा ने आरोप लगाया कि स्कूल ने गैर-ईसाई छात्रों को अनिवार्य रूप से बाइबिल ले जाने और पढ़ने के लिए कहा है, जो संविधान के अनुच्छेद 25 और 30 का उल्लंघन है.

क्लेरेंस हाई स्कूल के प्रिंसिपल जेरी जॉर्ज मैथ्यू ने एएनआई को बताया कि, "हम जानते हैं कि कुछ लोग हमारे स्कूल की नीतियों में से एक को लेकर परेशान हैं. हम एक शांतिप्रिय और कानून का पालन करने वाले स्कूल हैं. हमने इस मामले को लेकर अपने अधिवक्ताओं से परामर्श किया है और हम उनकी सलाह का पालन करेंगे. हम देश का कानून नहीं तोड़ेंगे."

वहीं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी भी स्थिति का जायजा लेने स्कूल पहुंचे. उन्होंने कहा, "मैं यहां स्कूल प्रशासन से रिपोर्ट लेने आया हूं."

Advertisement

कर्नाटक के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा कि कोई भी शिक्षण संस्थान लोगों को एक निश्चित धार्मिक प्रथा का पालन करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है और अगर संस्थान ऐसा करते पाए गए तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

Advertisement

मंत्री ने एएनआई को बताया, "कोई भी संस्था धार्मिक पाठ्यपुस्तकें नहीं पढ़ा सकती है. जैसा कि आप जानते हैं कि बाइबिल ईसाई धर्म की एक धार्मिक पुस्तक है. ऐसी चीजें हमारे संस्थानों में नहीं सिखाई जा सकती हैं. चाहे वह अल्पसंख्यक संस्थान हो या अन्य संस्थान. किसी भी धार्मिक प्रथाओं की अनुमति नहीं है."

Advertisement

कर्नाटक के मंत्री ने कहा, "मैंने नहीं देखा कि यह वास्तव में क्या है. मैं अपने अधिकारियों से इसे देखने और प्रबंधन से बात करने के लिए कहूंगा. मैंने सुना है कि वे कानून का पालन करने वाला स्कूल है. उन्होंने इस मामले पर अपने वकीलों से सलाह ली है और वे उनकी सलाह का पालन करेंगे. कोई भी संस्थान किसी को ऐसा कुछ करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता जो उनकी धार्मिक प्रथाओं के खिलाफ हो. अगर उन्होंने ऐसा किया है तो विभाग कार्रवाई करेगा."

Advertisement

इस बीच, समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे के अनुसार, हिंदू जनजागृति समिति ने कहा कि वे जल्द ही कर्नाटक के शिक्षा मंत्री से मिलेंगे और इस मुद्दे को उठाएंगे.

बता दें कि हाल ही में, राज्य सरकार ने स्कूलों में भगवत गीता पढ़ाने की योजना की घोषणा की थी, शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा था कि अगर विशेषज्ञों द्वारा अनुमोदित किया जाता है, तो कर्नाटक सरकार भी छात्रों के लिए पाठ्यक्रम में भगवत गीता जैसे महाकाव्यों को शामिल करेगी.

यह भी पढ़ें:
हिजाब की इजाजत नहीं मिली तो दो छात्राओं ने परीक्षा छोड़ी, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा- मामूली घटना
हिजाब को लेकर अर्ज़ी देने वाली दो छात्राओं को नहीं मिली परीक्षा देने की अनुमति, कॉलेज से लौटीं
सद्भाव की मिसाल : यहां पहले पढ़ी जाती हैं कुरान की आयतें, फिर खींचा जाता है भगवान विष्णु के अवतार का रथ

कर्नाटक : हिजाब के साथ नहीं देने दी गई परीक्षा तो घर लौट गईं छात्राएं

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)