यूपी विधानसभा चुनाव तारीखों का ऐलान होते ही हलचल तेज हो गई है. कानपुर के पुलिस कमिश्नर ने इसी बीच वीआरएस के लिए शनिवार को अर्जी दी है. उनके राजनीति में जाने के आसार दिख रहे हैं. चुनाव आयोग की विधानसभा चुनाव की घोषणा के कुछ ही देर बाद आईपीएस के 1994 बैच के अधिकारी असीम कुमार अरुण ने शनिवार को वीआरएस के लिए आवेदन दिया. वह इस समय कानपुर के पुलिस आयुक्त हैं.एडीजी स्तर के अधिकारी असीम कुमार अरुण ने विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद ही वीआरएस मांगने की सूचना को सोशल मीडिया पर शेयर किया.
असीम अरुण ने कहा, ''मैंने वीआरएस के लिए आवेदन दिया है क्योंकि अब देश और समाज की सेवा एक नये रूप में करना चाहता हूं. मैं बहुत गौरवान्वित अनुभव कर रहा हूं कि मुझे योगी आदित्यनाथ जी ने भाजपा की सदस्यता के योग्य समझा.'' उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, '' मैं प्रयास करूंगा कि पुलिस बलों के संगठन के अनुभव और सिस्टम को विकसित करने के कौशल से पार्टी को अपनी सेवाएं दूं और पार्टी में विविध अनुभव के व्यक्तियों को शामिल करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल को सार्थक बनाऊं.''
इससे यह संभावना जताई जा रही है कि अरुण राजनीति में प्रवेश कर सकते हैं और विधानसभा चुनाव में अपने गृह जिले कन्नौज के विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं. कन्नौज संसदीय क्षेत्र का समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के सुव्रत पाठक ने इस संसदीय सीट से डिंपल यादव को पराजित कर दिया था. असीम अरुण के इस फैसले के बाद कई सियासी मतलब निकाले जा रहे हैं.असीम अरुण के पास अभी रिटायरमेंट के लिए लगभग नौ साल का वक्त बचा है.
उन्होंने कथित तौर पर वीआरएस के लिए अपनी अर्जी मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र और डीजीपी मुकुल गोयल को सौंपी है. डीजीपी मुकुल गोयल ने पुष्टि की कि एडीजीपी असीम कुमार अरुण ने वीआरएस के लिए आवेदन दिया है. गोयल ने कहा कि शनिवार को लिखित वीआरएस आवेदन मिला है और आगे की कार्रवाई के लिए राज्य सरकार को भेजा गया है.'
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि अपने आवेदन में उन्होंने तत्काल कार्यमुक्त होने का अनुरोध किया था. अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा उनके लिखित अनुरोध को मंजूरी मिलने के बाद उन्हें जल्द ही सेवाओं से मुक्त कर दिया जाएगा.
असीम के पिता श्रीराम अरुण उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक रह चुके हैं, जिनका कुछ समय पहले निधन हो चुका है.
उत्तर प्रदेश में अधिकारियों के वीआरएस लेकर राजनीति में आने के पहले के भी कई उदाहरण हैं. गुजरात कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1988 बैच के अधिकारी अरविंद कुमार शर्मा भी पिछले वर्ष वीआरएस लेकर राजनीति में सक्रिय हो गये.
मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी के साथ करीब दो दशक तक सेवारत रहे शर्मा पिछले वर्ष भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए और उन्हें भाजपा ने पहले विधान परिषद का सदस्य और फिर संगठन में प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया. उनके पहले सेवानिवृत्त आईपीएस बृजलाल को भाजपा ने महत्व दिया और पहले अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग का चेयरमैन बनाया तथा बाद में राज्यसभा में भी भेजा.