Kandahar Plane Hijack दिन था 24 दिसंबर, 1999... नेपाल का त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट, यहीं ये इंडियन एयरलाइंस के विमान को हाईजैक कर अफगानिस्तान ले जाया गया था. ये विमान काठमांडू से दिल्ली आ रहा था. फ्लाइट संख्या IC-814 में 176 यात्री सवार थे. हाईजैकर्स इस विमान में यात्रियों के वेश में चढ़े थे. विमान को काठमांडू से हाईजैक कर कंधार ले जाया गया था. इस बीच विमान को ईंधन भरने के लिए दुबई एयरपोर्ट पर रोका गया, जहां 28 यात्रियों को उतारा गया. जिनमें ज्यादातर बच्चे और महिलाएं शामिल थीं. इनमें एक घायल यात्री भी शामिल था, जिसकी हाईजैकर्स से झड़प हो गई थी. इस यात्री की बाद में मौत हो गई थी. इतिहास के पन्नों में दर्ज इस घटना को आज फिर इसलिए याद किया जा रहा है, क्योंकि हाल ही में एक वेब सीरीज 'आईसी 814: द कंधार हाईजैक' रिलीज हुई है. वेब सीरीज में हाईजैक की इस घटना को लेकर कई ऐसी बातें भी सामने आई हैं, जिनसे अभी तक आम लोगों अंजान थे.
फ्लाइट IC-814 कैसे हुई थी हाईजैक
विमान ने जब काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान भरी, तो सबकुछ सामान्य नजर आ रहा था. विमान में ज्यादा यात्री भारतीय थे, जो दिल्ली आ रहे थे. लेकिन जैसे ही विमान भारतीय वायुसीमा में दाखिल हुआ, हाईजैकर्स खड़े हो गए और पूरे विमान को अपने कब्जे में ले लिया. उन्होंने पायलट और यात्रियों पर बंदूकें तान दीं, उनके साथ मारपीट की और विमान को दिल्ली से पाकिस्तान की ओर मोड़ दिया. विमान में इतना ईंधन नहीं था कि उसे सीधे अफगानिस्तान ले जाया जा सके. इसलिए हाईजैक विमान कुछ देर अमृतसर में रुका था और फिर लाहौर के लिए रवाना हो गया था. विमान पाकिस्तान सरकार से इजाजत लिए बिना रात 8:07 बजे लाहौर में उतरा था, जैसा कि पाक सरकार ने बताया. अगली सुबह विमान लाहौर से दुबई के लिए रवाना हुआ और वहां से सीधे अफगानिस्तान के कंधार पहुंच गया.
विमान शाम 4.53 बजे हाईजैक कर लिया गया था...
फ्लाइट इंजीनियर अनिल द्वारा लिखित पुस्तक आईसी 814 हाईजैक्ड: द इनसाइड स्टोरी में बताया गया है, " शाम 4.39 बजे तक फ्लाइट भारतीय हवाई क्षेत्र में पहुंच गई और कॉकपिट में मौजूद लोग चाय और कॉफी पी रहे थे. तभी एक शख्स कॉकपिट में घुस आया. पायलट ने जैसे ही इसे देखा, वे समझ गए कि मुसीबत में हैं. कॉकपिट में दाखिल हुए लोगों के चेहरों ढके हुए थे. उनकी आंखें भी मंकी कैप में बने स्लिट के पीछे फोटोक्रोमैटिक लेंस के पीछे छिपी हुई थीं. इस शख्स के बाएं हाथ में ग्रेनेड और दाहिने हाथ में रिवॉल्वर थी." इसके बाद हाईजैकर्स चिल्लाया, "कोई होशियारी नहीं करेगा. कोई हिलेगा नहीं. तय्यारा हमारे कब्जे मैं है. किसी ने भी हरकत की या होशियारी दिखाने की कोशिश की, तो अच्छा नहीं होगा. हमने विमान को कब्जे में ले लिया है." विमान शाम 4.53 बजे हाईजैक कर लिया गया था.
कंधार हाईजैकर्स ने क्या मांग की थी?
विमान के हाईजैक होने के कुछ घंटों बाद ही हाईजैकर्स ने बढ़ती हुई मांगें करनी शुरू कर दीं. इनमें भारतीय जेलों में बंद आतंकवादियों की रिहाई की मांग भी शामिल थी और उन्होंने 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर की फिरौती भी मांगी. विमान 8.33 बजे अफगानिस्तान के कंधार हवाई अड्डे पर उतरा और 31 दिसंबर तक वहीं रुका रहा. यहीं से भारतीय सरकार और हाईजैकर्स के बीच बातचीत हुई. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में तत्कालीन विदेश मंत्री जसवन्त सिंह छोड़े गए तीन आतंकियों मुश्ताक अहमद जरगर, अहमद उमर सईद शेख और मौलाना मसूद अजहर को कंधार लेकर गए थे. शुरुआत में अपहर्ताओं ने भारत में बंद 36 आतंकवादियों की रिहाई की मांग की थी, इसमें जिसमें मसूद अज़हर भी शामिल था. ये वही मसूद अजहर है, जिसने बाद में जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन बनाया. यही संगठन ने 2019 पुलवामा हमलों में शामिल था.
भारत सरकार ने क्या किया?
हाईजैक की इस घटना ने पूरे भारत को हिलाकर रख दिया था. इसे लेकर भारत में विरोध प्रदर्शन भी हो रहे थे. भारत में उस समय एनडीए की सरकार थी और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री. मौजूदा भारत सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी उस ऑपरेशन कधार में शामिल थे. कंधार पर उस समय तालिबान का कब्जा था. हालांकि, भारत सरकार ने कहा नहीं था, लेकिन उन्होंने मामले में खुद हस्तक्षेप किया. हाईजैकर्स ने इसके बाद अपनी कुछ मांगें कम कर दीं. हालांकि, वे आतंकियों की रिहाई की मांग पर अड़े रहे. आखिरकार यात्रियों की सुरक्षा के बदले में भारतीय जेलों से तीन आतंकियों को कंधार ले जाकर छोड़ने का फैसला लेना पड़ा. इसे लेकर सरकार की आलोचना भी हुई थी.
8 दिन बाद रिहा हुए थे 155 बंधक
कंधार हाईजैक की घटना आज भी वाजपेयी सरकार की सबसे दुखती रग है, लेकिन तब सरकार के सामने कोई विकल्प नहीं था. 31 दिसंबर को सरकार और अपहरणकर्ताओं के बीच समझौते के बाद दक्षिणी अफगानिस्तान के कंधार एयरपोर्ट पर अगवा रखे गए सभी 155 बंधकों को आखिरकार रिहा कर दिया गया. 31 दिसम्बर 1999 की रात ही फलाइट 814 के छोड़े गए बंधकों को एक विशेष विमान से भारत वापस लाया गया. लेकिन ये खौफ के 8 दिन विमान में बैठे लोगों के साथ-साथ भारत के हर नागरिक के लिए खौफ भरे थे. दरअसल, लोगों को डर था कि विमान में सवार लोगों को कुछ हो न जाए. फिर इस विमान में कुछ विदेशी नागरिक भी थे.
कहां हैं, कंधार हाईजैक डील में छोड़े गए आतंकी
मुश्ताक अहमद जरगर: कश्मीरी आतंकी कमांडर मुश्ताक जरगर इस समय में कश्मीर है, जिसकी पिछले साल श्रीनगर में स्थित संपत्ति को कुर्क किया गया. मुश्ताक जरगर का अल-कायदा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे कट्टरपंथी आतंकवादी समूहों से संबंध है. माना जाता है कि वह जम्मू-कश्मीर में शांति को अस्थिर करने के लिए सैयद सलाहुद्दीन के अलावा पाकिस्तान से एक आतंकी समूह का संचालन कर रहा है. मुश्ताक अहमद जरगर कश्मीर घाटी में विभिन्न आतंकी संगठनों के लिए लोगों की भर्ती करता था.
अहमद उमर सईद शेख: उमर शेख पाकिस्तानी मूल का ब्रिटिश आतंकवादी है, जो इस समय पाकिस्तान में ही है. पाकिस्तान मूल का उमर लंदन में एक कपड़ा व्यापारी सईद शेख के घर हुआ था. उमर के जन्म से 5 साल पहले उनके पिता पाकिस्तान से लंदन में स्थानांतरित हो गए थे, लेकिन वे 1987 में फिर लाहौर लौट आए थे. सईद शेख ने साल 2002 में वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार डेनियल पर्ल को पाकिस्तान में किडनैप करवाया और उनकी हत्या करवा दी थी, जिस मामले में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई. हालांकि, बाद में उन्हें सिर्फ अपहरण का दोषी माना गया और रिहा कर दिया गया.
मौलाना मसूद अजहर: भारत में मोस्ट वांटेड एक और पाकिस्तानी आतंकवादी मौलाना मसूद अज़हर बताया जाता है कि इस समय पाकिस्तान में है. हालांकि, कुछ दिनों पहले उसके एक बम विस्फोट में मारे जाने की खबर आई थी. इससे जुड़े कुछ वीडियो भी सामने आए, लेकिन अभी तक मसूद अजहर की मौत की पुष्टि नहीं हुई है. वह अब तक भारत में कई हमलों को अंजाम दे चुका है.
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