KLF 2025: भुवनेश्वर में कलिंगा साहित्य महोत्सव का भव्य आगाज, 3 दिनों तक चलेगा आयोजन

कलिंगा साहित्य महोत्सव में अगले 3 दिनों तक 3 अलग-अलग जगहों पर लोगों को कला-साहित्य से जुड़ी हस्तियों से रूबरू होने का एक बार फिर मौका मिलेगा.

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Kalinga Literature Festival 2025: ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में शुक्रवार को कलिंगा साहित्य महोत्सव (KLF) के 11वें संस्करण का भव्य आगाज हुआ. भुवनेश्वर के मेफेयर कन्वेंशन में शुरू हुए इस आयोजन का उद्घाटन ओडिशा के राज्यपाल डॉ. हरि बाबू कंभमपति ने किया. इस दौरान विशिष्ट अतिथि के रूप में केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, इंडोनेशिया गणराज्य की राजदूत इना एच. कृष्णमूर्ति, पद्म विभूषण से सम्मानित सुदर्शन साहू और साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव मौजूद थे.

आयोजकों ने बताया कि संस्कृति और साहित्य के इस वार्षिक महोत्सव में दक्षिण पूर्व एशिया और दुनिया भर से करीब 25 भाषाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले साहित्यकार भाग ले रहे हैं. यह कार्यक्रम अगले तीन दिनों तक चलेगा. जिसके अलग-अलग सेशन अलग-अलग मसलों पर साहित्यकार अपनी बात रखेंगे.

इस बार कलिंगा साहित्य महोत्सव का थीम - "साहित्य और विश्व: समावेश, पहचान और जुड़ाव" रखा गया है. इस फेस्टिवल में साहित्य, संस्कृति और कूटनीति के क्षेत्रों से प्रतिष्ठित व्यक्तित्व एक साथ आए.

उद्घाटन के मौके पर कलिंगा साहित्य महोत्सव के संस्थापक रश्मि रंजन परिदा ने साहित्य के माध्यम से अंतःविषय और सीमा पार संवाद को बढ़ावा देने के लिए महोत्सव की प्रतिबद्धता पर जोर दिया.

कलिंगा साहित्य महोत्सव में तीन दिन का आयोजन

KLF के संस्थापक रश्मि रंजन परिदा ने राज्य और देश की समृद्ध सांस्कृतिक, कलात्मक और साहित्यिक विरासत का जश्न मनाने के लिए दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से रचनात्मक दिमागों को लाने में कलिंगा साहित्य महोत्सव द्वारा किए गए योगदान के बारे में भी जानकारी दी. साहित्य, संस्कृति, कला परंपरा, इतिहास और राजनीति पर चर्चा करने के लिए दुनिया भर के विचार नेता, लेखक और दूरदर्शी इन तीन दिनों के आकर्षक सत्रों में भाग ले रहे हैं.

अगले 3 दिनों तक 3 अलग-अलग जगहों पर लोगों को कला-साहित्य से जुड़ी हस्तियों से रूबरू होने का एक बार फिर मौका मिलेगा. अब तक ये समारोह हर बार कला जगत के अनुभवी और उभरते हस्ताक्षरों को बराबरी की मौका देता रहा है. उम्मीद की जानी चाहिए कि इस बार भी ये परंपरा कायम रहेगी.

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