जोशीमठ. उत्तराखंड के जोशीमठ में कई इलाके धंस रहे हैं और रेड जोन के मकानों को लगातार खाली कराया जा रहा है. लगभग 4000 लोग इस आपदा में प्रभावित बताए जा रहे हैं. ऐसे में प्रशासन के सामने लोगों के पुनर्वास की बड़ी समस्या है. लोग शेल्टर होम से लेकर गुरुद्वारे तक में शरण ले रहे हैं. जोशीमठ के कई प्रभावित परिवारों की जिंदगी एक कमरे में सिमट गई है. अब इन्हें आगे का रास्ता नजर नहीं आ रहा है. घर छोड़ने का दर्द बताते हुए इनके आंसू छलक पड़ते हैं...
एनडीटीवी के रिपोर्टर सौरभ शुक्ला जोशीमठ में जमीन धंसने से प्रभावित लोगों तक पहुंच रहे हैं. जोशीमठ के 8 से 10 प्रभावित परिवारों को एक गुरुद्वारे में शरण मिली है. गुरुद्वारे की शरण में आए गजेंद्र सिंह ने बताया, "मेरा घर होटल माउंट व्यू के पीछे है. हमारे घर में दरारें पड़ गई हैं. वहां जाने से भी अब डर लगता है, लेकिन हम कबतक गुरुद्वारे में रहेंगे? हालांकि, सरकार ने कहा कि हम पूरी मदद करेंगे. हम पर भरोसा रखिए." वहीं, एक पीडि़त महिला ने कहा, "हमारा घर रेड जोन में आ गया है. अब हम वहां नहीं रह सकते हैं. जीवन चलाने के लिए हमारा एकमात्र विकल्प घर था, इसी के किराए पर हम निर्भर थे, लेकिन अब ये भी चला गया है. ऐसे में सरकार से हमारी गुजारिश है कि जल्द ही हमारे लिए कोई उचित समाधान लाएं." ये कहते हुए महिला की आंखों से आंसू छलक पड़े...
जोशीमठ से घर छोड़ चुके लोगों को अब कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है. गुरुद्वारे में रह रहीं एक बुजुर्ग महिला ने कहा, "अब ईश्वर ही हमें रास्ता दिखाएगा. हम अपने घर वापस नहीं जा सकते हैं. रोजगार का कोई साधन नहीं है. ऐसे में हम क्या करेंगे, कुछ नहीं पता?" 71 वर्षीय मंदोदिरी देवी का 10 कमरों का घर था, जो अब पूछे छूट गया है. अब वह अपने परिवार के छह सदस्यों के साथ एक कमरे में रहने को मजबूर हैं.
गुरुद्वारे में प्रभावित लोगों की सेवा में जुटे मोनू सिंह ने बताया कि यहां आठ से दस परिवार इस रुके हुए है. हम आपदा प्रभावित लोगों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं. यहां हमेशा लोगों के लिए लंगर की सेवा रहती है. बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड के जोशीमठ में केवल 12 दिन में 5.4 सेमी की तेजी से जमीन घंसने की घटना देखी गई है. 700 से अधिक यानि शहर की लगभग एक चौथाई इमारतों में दरारें आ गई हैं. इसके बाद अधिकारियों ने वहां के निवासियों को सुरक्षित जगहों पर भेजा है और सबसे ज्यादा क्षतिग्रस्त भवनों को गिराने का काम हो रहा है.