झारखंड के मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने से नाराज झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के विधायक बैद्यनाथ राम ने रविवार को कहा कि इससे ‘‘उनके सम्मान को ठेस पहुंची है और वह चुप नहीं बैठेंगे.''लातेहार से विधायक राम ने कहा कि उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने के फैसले ने अनुसूचित जनजाति की ‘‘भावनाओं को भी आहत'' किया है. विधायक ने आगे की कार्रवाई तय करने के लिए आज अपने आवास पर एक बैठक बुलाई है.
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा' ने कहा,‘‘मेरे सम्मान को ठेस पहुंची है, मैं चुप नहीं बैठूंगा.''झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन के सबसे छोटे बेटे बसंत सोरेन समेत आठ विधायकों ने चंपाई सोरेन मंत्रिमंडल में मंत्री पद की शपथ ली है। कथित तौर पर अंतिम समय में राम का नाम सूची से हटा दिया गया था. असंतुष्ट विधायक ने दावा किया कि मुख्यमंत्री ने मंत्री पद पर विचार के लिए दो दिन का वक्त मांगा है.
उन्होंने कहा,‘‘ मुख्यमंत्री दिल्ली में हैं. उम्मीद करता हूं कि जब वे रांची वापस आएंगे तो कोई सकारात्मक जवाब देंगे अन्यथा मैं कोई निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हूं.''झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन के पास 81 सदस्यीय विधानसभा में 47 विधायक (झामुमो के 29, कांग्रेस के 17 और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का एक) हैं.
झारखंड में कांग्रेस के चार विधायकों को मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन की सरकार में शामिल करने से नाराज पार्टी के 12 में से आठ विधायक शनिवार शाम दिल्ली पहुंचे. आलमगीर आलम, रामेश्वर उरांव, बन्ना गुप्ता और बादल पत्रलेख को फिर से मंत्री पद देने के कांग्रेस के फैसले से नाखुश विधायक पहले रांची के एक होटल में एकत्र हुए. उन्हें मनाने के लिए झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन के सबसे छोटे बेटे और मंत्री बसंत सोरेन पहुंचे.
कांग्रेस के कम से कम 12 विधायकों ने धमकी दी है कि अगर पार्टी के कोटे के मंत्री बनाए गए नेताओं को बदला नहीं गया तो वे 23 फरवरी से होने वाले आगामी विधानसभा सत्र का बहिष्कार करेंगे.
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