झारखंड में चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम का अंत हो गया है. एक तरफ हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी (Jharkhand Hemant Soren) हो गई तो वहीं दूसरी तरफ चंपई सोरेन को राज्य के नए मुख्यमंत्री के तौर पर चुन लिया गया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को ही सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. 7 घंटे की पूछताछ के बाद ईडी ने उनको हिरासत में ले लिया. झारखंड मुक्ति मोर्चा के दिग्गज नेता और परिवहन मंत्री चंपई सोरेन अब हेमंत सोरेन की जगह लेने जा रहे हैं. हेमंत सोरेन को ईडी ऑफिस ले जाने के बाद औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया.
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इस्तीफा सौंपते ही हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी
राज्यपाल से मुलाकात करने और इस्तीफा सौंपने के कुछ मिनट बाद ही कथित भूमि घोटाले के मामले में हेमंत सोरेन को हिरासत में ले लिया गया था. सूत्रों के मुताबिक उन्होंने अधिकारियों के साथ इस मामले पर चर्चा की और घोषणा की कि वह पद छोड़ने के बाद ही गिरफ्तारी ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेंगे. इसके बाद ईडी के अधिकारी उन्हें राज्यपाल से मिलवाने ले गए. अगर कोई मुख्यमंत्री तीन बार समन से बचता है तो उसे मनी लॉन्ड्रिंग रोधी नियमों के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है.
हेमंत सोरेन ने पूरे हफ्ते प्रवर्तन निदेशालय से बचने के बाद, बुधवार दोपहर को केंद्रीय एजेंसी द्वारा पूछताछ के लिए सहमत हुए. पूछताछ के दौरान उनका बयान दर्ज किया गया. अपनी गिरफ़्तारी के तुरंत बाद, हेमंत सोरेन ने एक्स पर कुछ हिंदी कविताएं पोस्ट कीं. उन्होंने लिखा-
यह एक विराम है
जीवन महासंग्राम है
हर पल लड़ा हूं, हर पल लड़ूंगा
पर समझौते की भीख मैं लूंगा नहीं
हार में, क्या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं
लघुता न अब मेरी छुओ
तुम हो महान, बने रहो
अपने लोगों के हृदय की वेदना
मैं व्यर्थ त्यागूंगा नहीं
हार मानूंगा नहीं...
जय झारखंड!
कल्पना सोरेन की जगह चंपई सोरेन को CM के लिए क्यों चुना?
पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 600 करोड़ रुपये के जमीन घोटाले से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए सात समन टाल दिए थे. जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी की आशंका काफी गहरा गई थी. कल उन्होंने सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों के साथ बैठक की जहां सीएम कौन बनेगा, इस पर चर्चा हुई. शुरुआत में उनकी पत्नी कल्पना सोरेन के सीएम बनने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन नवंबर में होने वाले राज्य चुनावों को देखते हुए पार्टी ने कल्पना की बजाय चंपई सोरेन को सीएम बनाना ठीक समझा. किसी भी राज्य विधानसभा के कार्यकाल के आखिरी साल में उपचुनाव नहीं हो सकते हैं और इसलिए, कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री नामित किए जाने पर भी विधायक नहीं चुना जा सकता था.
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