झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल चाईबासा के ब्लड बैंक में लापरवाही का एक बेहद गंभीर मामला सामने आया है. थैलीसीमिया से पीड़ित सात वर्षीय बच्चे को कथित तौर पर एचआईवी पॉजिटिव रक्त चढ़ाने का आरोप अब बड़ा रूप ले चुका है. प्रारंभिक जांच में जहां एक बच्चे के संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने की बात सामने आई थी, वहीं अब रांची से आई विशेष मेडिकल टीम की जांच में चार और बच्चे एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं.
मामले के प्रकाश में आने के बाद पूरे स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है. मंझारी प्रखंड के रहने वाले पीड़ित बच्चे के परिजनों ने उपायुक्त और राज्य सरकार से शिकायत दर्ज कराई है. वहीं, मंझारी के जिला परिषद सदस्य माधव चंद्र कुंकल ने आरोप लगाया है कि इस घटना के पीछे ब्लड बैंक कर्मी की बदले की भावना काम कर रही है. उनका कहना है कि बच्चे की बुआ के साथ एक साल पहले ब्लड बैंक कर्मचारी मनोज कुमार ने दुर्व्यवहार किया था, जिसकी शिकायत सदर थाना में दर्ज है और मामला अदालत में लंबित है. कुंकल ने उच्च स्तरीय जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है. जानकारी मिल रही है कि ब्लड चढ़ाने से एचआईवी संक्रमित बच्चों की संख्या में और इजाफा हो सकता है. इस घटना के बाद झारखंड हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य सचिव और सिविल सर्जन से जवाब तलब किया है.
पश्चिमी सिंहभूम के सिविल सर्जन डॉ. सुशांतो कुमार माझी ने कहा कि मामले की जांच तेजी से कराई जा रही है. यह पता लगाया जा रहा है कि एचआईवी संक्रमण बच्चों तक कैसे पहुंचा. उन्होंने कहा कि दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.
मेडिकल टीम ने की जांच, गंभीर अनियमितताएं उजागर
स्वास्थ्य सेवाएं झारखंड के निदेशक डॉ. दिनेश कुमार के नेतृत्व में रांची से आई विशेष मेडिकल टीम ने अस्पताल के ब्लड बैंक और पीकू वार्ड का औचक निरीक्षण किया. इस टीम में डॉ. शिप्रा दास, डॉ. एस.एस. पासवान, डॉ. भगत, सिविल सर्जन डॉ. सुशांतो कुमार माझी, डीएस डॉ. शिवचरण हांसदा, डॉ. मीनू कुमारी समेत कई अधिकारी शामिल थे.
टीम ने इलाजरत बच्चों के परिजनों से भी बातचीत की और पाया कि ब्लड बैंक में कई गंभीर अनियमितताएं मौजूद हैं. जांच रिपोर्ट के अनुसार, ब्लड सैंपल के परीक्षण, रिकॉर्ड रखरखाव और सुरक्षा प्रोटोकॉल में भारी लापरवाही बरती गई थी.
निदेशक ने दिए निर्देश, ब्लड बैंक अस्थायी रूप से इमरजेंसी मोड में
डॉ. दिनेश कुमार ने बताया कि ब्लड बैंक की कमियों को दूर करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है. उन्होंने कहा कि “जो भी खामियां सामने आई हैं, उनकी रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों को सौंप दी जाएगी.” फिलहाल, दो से तीन दिन तक ब्लड बैंक केवल इमरजेंसी सेवाओं के लिए ही काम करेगा.
इस पूरे घटनाक्रम ने जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. परिजन और जनप्रतिनिधि जहां न्याय और कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, वहीं जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीमें अब मामले की तह तक जाने में जुटी हुई हैं.














