जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह “ललन” ने बुधवार को राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश पर “प्रधानमंत्री के निर्देशों के तहत” पार्टी की बैठकें में शामिल नहीं होने का आरोप लगाया. ललन ने यह आरोप जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी गठित करने के एक दिन बाद लगाया, जिसमें हरिवंश को छोड़कर सभी लोकसभा और राज्यसभा सांसदों सहित लगभग 100 सदस्यों के नाम हैं.
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा, “पिछले साल नौ अगस्त को हमारे राजग छोड़ने के बाद से हरिवंश ने पार्टी की सभी बैठकों में भाग नहीं लिया. इतना ही नहीं, उन्होंने संसदीय दल की बैठक में आना बंद कर दिया है, जो हम हर बुधवार को सदन के सत्र के दौरान आयोजित करते हैं.” उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, “ऐसा संभव है कि हरिवंश को किसी और ने नहीं बल्कि प्रधानमंत्री ने जदयू की बैठकों में शामिल न होने के लिए कहा हो.''
ललन सिंह ने इन दलीलों को भी खारिज कर दिया कि पत्रकार से नेता बने हरिवंश शायद पार्टी की बैठकों से दूरी इसलिए बनाए हुए हैं क्योंकि वह एक संवैधानिक पद पर हैं. जदयू प्रमुख ने कहा, “नौ अगस्त, 2022 से पहले वह हमेशा पार्टी की बैठकों में शामिल होते थे.” राज्यसभा में अपना लगातार दूसरा कार्यकाल पूरा कर रहे हरिवंश 2018 में उपसभापति बने.
ललन ने कहा, “हो सकता है, वह अब प्रधानमंत्री के निर्देशों के अनुसार कार्य कर रहे हों, जिन्होंने उन्हें पार्टी की बैठकों से दूर रहने के लिए कहा होगा. तकनीकी रूप से, वह अभी जदयू से बाहर नहीं निकल सकते हैं.” एक समय जदयू के सर्वोच्च नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विश्वासपात्र रहे हरिवंश को विपक्ष के बहिष्कार के बावजूद नए संसद भवन के उद्घाटन में भाग लेने जैसे कदमों के कारण पार्टी की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.
इस बीच, बिहार भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने एक बयान जारी कर ललन पर 'प्रधानमंत्री का नाम अनावश्यक रूप से घसीटने' और 'गठबंधन सहयोगी राजद और उसके नेताओं लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव का प्रवक्ता बनने' का आरोप लगाया. उन्होंने आरोप लगाया, “जदयू विघटन के कगार पर है, लेकिन ललन सिंह जैसे लोगों को कोई चिंता नहीं है. वह हरिवंश जैसे बुद्धिजीवी को इस तरह से अपमानित कर रहे हैं, जो हमें नीतीश कुमार द्वारा जॉर्ज फर्नांडिस, शरद यादव और आर सी पी सिंह जैसे दिग्गजों के साथ किए गए घटिया व्यवहार की याद दिलाता है.”