Kathua Terror Attack : जम्मू कश्मीर के कठुआ में सेना के काफिले पर हुए आतंकी हमले में उत्तराखंड के 5 जवान शहीद हुए हैं. इन्हीं शहीद जवानों में एक हैं राइफलमैन आदर्श नेगी. आदर्श नेगी टिहरी जिले के कीर्तिनगर के थाती (डागर) गांव के रहने वाले हैं. आदर्श नेगी के गांव में उनकी शहादत की सूचना मिलने के बाद गांव में शोक की लहर छा गई. लोग उनके घर पर पहुंचने लगे. उनकी मां खबर सुनते ही बेहोश हो गईं. शहीद आदर्श नेगी अभी महज 26 साल के ही थे. आदर्श नेगी वर्ष 2018 में गढ़वाल राइफल में भर्ती हुए थे. उन्होंने 6 साल देश की सुरक्षा में दिए.
देश का लाल ऐसे शहीद हुआ
आदर्श नेगी का परिवार तो पहले ही सदमे में था. अभी दो माह पहले ही तो आदर्श नेगी के ताऊ के बेटे ने अपने प्राण देश हित में न्योछावर किए थे. वह भी भारतीय सेना में मेजर थे. उनकी शहादत के जख्म तो अभी तक परिवार को रुला रहे थे. हर कोई इस गम को भूलाने और आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा था. सोमवार अपराह्न करीब साढ़े तीन बजे कठुआ शहर से 150 किलोमीटर दूर लोहई मल्हार में बदनोता गांव के पास माचेडी-किंडली-मल्हार मार्ग पर सेना का वाहन नियमित गश्त पर था. इसी वाहन में आदर्श नेगी भी थे. इसी दौरान घात लगाकर बैठे आतंकवादियों ने हमला कर दिया. हमले में पांच जवान शहीद हो गए और पांच अन्य घायल हुए. यह इलाका जम्मू संभाग के कठुआ जिले में आता है.
रात में ही मिली ये मनहूस खबर
आतंकवादी हमले में आदर्श नेगी की शहादत की खबर परिवार को रात में मिली. खबर मिलते ही परिवार अपनी सुध खो बैठा. उसे यकीन ही नहीं हुआ कि काल इतनी जल्दी फिर उसी के घर का दरवाजा खटखटा बैठ है. आदर्श नेगी की मां तो यह खबर सुनते ही बेहोश हो गईं. परिवार ने किसी तरह उन्हें संभाल. वह न तो किसी से बात कर रही हैं और न कुछ खा या पी रही हैं. पिता भी बेहद सदमे में हैं, लेकिन परिवार के मुखिया होने के चलते खुद को संभाले हुए हैं. अंदर से टूट गए हैं, लेकिन खुद को दूसरों के सामने ढांढस बांधे दिखाने की कोशिश कर रहे हैं.
पिता बोले-एक बार हो फैसला
आदर्श नेगी अपने पीछे अपने पिता दलबीर सिंह नेगी और मां सहित एक भाई और एक बड़ी बहन को अलविदा कह गए. उनके भाई चेन्नई में जॉब करते हैं, जबकि बड़ी बहन की शादी हो चुकी है. वह भाई की शहादत की खबर सुन गांव पहुंच गईं हैं. उनका रो-रोकर बुरा हाल है. अपने भाई को खोने का दुख बर्दाश्त नहीं कर पा रहीं.दलबीर सिंह नेगी ने एनडीटीवी से कहा कि सरकार को इन आतंकवादियों पर फैसला करना चाहिए. ऐसा फैसला कि ये आगे कभी ऐसी हरकत न कर सकें. रोज-रोज की जगह एक ही बार फैसला होना चाहिए.