17 दिनों से सूना पड़ा माता रानी का दरबार, वैष्णो देवी मार्ग को श्रद्धालुओं का इंतजार, यात्रा कब से शुरू?

प्रशासन ने साफ किया है कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और सभी इंतजाम पूरे होने के बाद ही वैष्णो देवी यात्रा को फिर से शुरू किया जाएगा.

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वैष्णो देवी मार्ग को श्रद्धालुओं का इंतजार
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  • जम्मू कश्मीर में 26 अगस्त को हुई भारी बारिश और भूस्खलन के कारण वैष्णो देवी यात्रा मार्ग 17 दिनों से बंद है.
  • इस हादसे में 34 श्रद्धालुओं की मौत और कई गंभीर रूप से घायल होने के बाद यात्रा स्थगित कर दी गई थी.
  • प्रशासन और एनडीआरएफ की टीमें लगातार मलबा हटाने और सफाई का कार्य कर रही हैं ताकि यात्रा फिर से शुरू हो सके.
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जम्मू-कश्मीर:

जम्मू कश्मीर में 26 अगस्त को हुई भीषण बारिश और अर्धकुंवारी के पास भूस्खलन  के बाद वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पिछले 17 दिनों से वीरान पड़ा है. दर्शनार्थी यात्रा (Vaishno Devi Yatra) दोबारा शुरू होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. इस बीच प्रशासन और एनडीआरएफ की टीमें मार्ग से मलबा हटाने और सफाई का कार्य लगातार कर रही हैं.

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कई रास्तों में अब भी खतरा, सुरक्षा कारणों से यात्रा बंद

दरअसल, 26 अगस्त के हादसे में 34 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी, जबकि कई गंभीर रूप से घायल हुए थे. इसी के बाद प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से यात्रा को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया था. अब उम्मीद की जा रही है कि इस हफ्ते तीर्थयात्रियों को दर्शन की अनुमति मिल सकती है. हालांकि, मार्ग के कई हिस्सों में अभी भी खतरा बना हुआ है, लिहाजा यात्रा दोबारा शुरू करने का समय घोषित नहीं किया गया है.

होटल, धर्मशालाएं और दुकानें सूने पड़े

वैसे करीब दस दिन की भारी बारिश, अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन के बाद अब मौसम में काफी सुधार हुआ है, लेकिन यात्रा फिर से शुरू करने पर कोई फैसला नहीं लिया गया है. यात्रा ठप पड़ने से मार्ग पर स्थित बाजार, होटल, धर्मशालाएं और दुकानें सूनी हैं. घोड़े, पालकी और कुली चलाकर रोजगार कमाने वाले मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता

यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि यात्रा का इतने लंबे समय तक बंद रहना बहुत ही असामान्य है. प्रशासन ने साफ किया है कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और सभी इंतजाम पूरे होने के बाद ही यात्रा को फिर से शुरू किया जाएगा.

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