महबूबा मुफ्ती के 'फैक्स' वाले आरोप पर बोले राज्यपाल- कल ईद थी, मुझे कोई खाना देने वाला भी नहीं था

राज्यपाल ने बुधवार रात जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग कर दिया.

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जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्य पाल मलिक.
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फैक्स मिल भी जाता तो मेरा फैसला वही रहता- राज्यपाल
'माहौल बहुत ज्यादा खराब हो गए थे'
'पहले इन्होंने ही सदन भंग करने की मांग की थी'
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने विधानसभा भंग करने के फैसले को सही बताया. राज्यपाल ने यह फैसला पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती द्वारा सरकार बनाने के लिए दावा पेश करने के बाद लिया था. एनडीटीवी से बात करते हुए राज्यपाल ने कहा, 'विधानसभा गलत समय पर नहीं, सही समय पर भंग की गई है.' उन्होंने कहा कि महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला जो अब कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर रहे हैं, उन्होंने कई बार सदन को भंग करने की मांग की है. राज्यपाल ने कहा, 'मुझे दोनों तरफ से विधायकों की खरीद-परोख्त की जानकारी मिल रही थी. हालात बहुत खराब हो रहे थे. किसी के पास बहुमत का आंकड़ा भी नहीं था.'

सदन भंग करने का फैसला पहले क्यों नहीं लिया गया? इस सवाल पर उन्होंने कहा, 'पहले सदन भंग करने की कोई वजह नहीं थी. पहले कोई भी ऐसे डरावने तरीके से सरकार बनाने के लिए नहीं आया था. लोकतंत्र काम कर रहा था. विधायकों को फंड मिल रहे थे. एक दो जिलों में ही विद्रोह बाकी रह गया था. हमने स्थानीय निकाय चुनाव शांति से संपन्न करवाए. कोई पत्थरबाजी नहीं हो रही थी. लेकिन जब मैंने देखा कि माहौल खराब हो रहा तो मैंने सदन भंग करने का फैसला किया.

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महबूबा मुफ्ती का कॉल पिक न करने और राजभवन में फैक्स न पहुंचने के आरोप पर राज्यपाल ने कहा, 'कल ईद थी, राजभवन में मुझे कोई खाना देना वाला भी नहीं था. वह एक दिन पहले मेरे पास आ सकती थीं.' इसके साथ ही उन्होंने कहा, 'अगर मुझे उनका फैक्स मिल भी जाता तो मेरे फैसला वही रहता.'

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'विधानसभा में किसी के पास नंबर नहीं'

बता दें, बुधवार को महबूबा मुफ्ती ने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के समर्थन के साथ सरकार बनाने का दावा किया था. लेकिन उनके दावे के पत्र का फैक्स राजभवन नहीं पहुंच पाया. इसके बाद मुफ्ती ने टि्वटर पर वह पत्र ट्वीट करते हुए लिखा था कि मेरा पत्र राजभवन फैक्स नहीं हो रहा और फोन से भी राज्यपाल से संपर्क नहीं हो पा रहा है.

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