जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने गठबंधन किया था. इसके तहत नेशनल कॉन्फ्रेंस 51 और कांग्रेस ने 32 सीटों पर चुनाव लड़ा.दोनों दलों ने सीपीआई (एम) और पैंथर्स पार्टी के लिए एक-एक सीट छोड़ी थी.इनके अलावा पांच सीटें ऐसी थीं, जहां दोनों के उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे.ये सीटें थीं बनिहाल, बारामुला, भद्रवाह, देवसर, डोडा, नगरोटा और सोपोर. इनमें से दो नेशनल कॉन्फ्रेंस और दो पर कांग्रेस के उम्मीदवार आगे चल रहे हैं. वहीं एक सीट पर बीजेपी और एक सीट पर पीडीपी का उम्मीदवार आगे है.
शुरूआती रूझान के मुताबिक सोपोर में नेशनल कॉन्फ्रेंस, बारामुला में कांग्रेस, बनिहाल में कांग्रेस, नगरौटा में बीजेपी, देवसर में पीडीपी और डोडा में नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार आगे चल रहे हैं.
फारूक अब्दुल्ला की अपील
यह समझौता होने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने कहा था,"यह बहुत खुशी की बात है कि हम दोनों (कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस) उन ताकतों के खिलाफ लड़ रहे हैं जो यहां लोगों को बांटने की कोशिश कर रहे हैं. इंडिया गठबंधन इसलिए बनाया गया था ताकि हम उन ताकतों से लड़ सकें जो सांप्रदायिक विभाजन पैदा करना चाहते हैं.आज यह खुशी की बात है कि हमने चर्चा पूरी कर ली है और समन्वय के साथ नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस एक साथ चुनाव लड़ेंगे."
चुनाव प्रचार में मतभेद
गठबंधन होने के बाद भी नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के संबंध सामान्य नहीं रहे. दोनों दलों के प्रमुख नेताओं ने एक साथ चुनाव प्रचार से परहेज किया. इसके अलावा मुद्दों पर भी दोनों में असहमति रही. विपक्ष इन दोनों के विपक्षी दलों ने इसको लेकर निशाना भी साधा. सबसे बड़ा विवादास्पद मुद्दा अनुच्छेद-370 और 35 ए की वापसी का रहा. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में अनुच्छेद-370 और 35 ए की बहाली की बात कही है, वहीं कांग्रेस के घोषणा पत्र में इस संबंध में कुछ नहीं कहा गया है. इस गठबंधन के इस स्टैंड को लेकर दोनों दलों की आलोचना भी हुई.
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