जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 30 साल के बाद एक ऐतिहासिक मंदिर के द्वार खोले गए हैं. मुर्रान गांव में खोले गए इस बरारी मौज मंदिर में कश्मीरी पंडितों ने विशेष पूजा-अर्चना की. इस दौरान मुर्रान गांव के पंडित और मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मिलकर मंदिर के द्वार खोले. इस अवसर पर विशेष पूजा पाठ करने के साथ प्रसाद भी बांटा गया. साथ ही दोनों समुदायों के लोगों ने मिलकर हवन किया.
तीन दशक बाद बरारी मौज मंदिर खुलने से गांव के गैर-प्रवासी पंडित काफी खुश नजर आए. इसका वीडियो भी सामने आया है. इस दौरान मौजूद एक कश्मीरी पंडित ने कश्मीर घाटी में पंडितों की वापसी पर कहा कि हमने एक प्रस्ताव पास किया कि हमें कश्मीर घाटी में एक यूनियन टेरिटरी दे दो, हम वहां रहेंगे जहां भारतीय संविधान चलेगा. जहां सब लोग एकसाथ प्यार मोहब्बत से रहेंगे. इसके बिना कोई चारा नहीं है.
वहीं एक अन्य कश्मीरी पंडित ने कहा कि हमें ऐसा लगा जैसे हम कभी यहां से गए ही नहीं थे. युवा जिन्होंने हमें कभी नहीं देखा था, हमें अपने माता-पिता के दोस्त के रूप में पहचानते थे और हमें अपने माता-पिता से भी अधिक सम्मान दिया. बरारी मौज मंदिर में भजन गाने वाली मंडली मुस्लिम समुदाय से थी, ये कश्मीरी पंडितों के लिए भजन गा रहे थे.
यहां उपस्थित लोगों ने कहा कि भविष्य में भी ऐसे ही हवन करते रहेंगे. हम यहां के लोगों का दिल से शुक्रिया अदा करते हैं. बता दें कि पुलवामा से आतंकी गतिविधियों से जुड़ी खबरें सामने आती रहती हैं. इसे दहशतगर्दों का गढ़ माना जाता है. पुलवामा में सुरक्षाबलों ने दो विस्फोटक उपकरण भी हाल ही में बरामद किया है. साथ ही लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के तीन आतंकियों को भी धर दबोचा है. पुलिस अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि करीब छह किलोग्राम विस्फोटक सामग्री यहां से रविवार को बरामद किया गया था, जिसे नष्ट कर दिया गया है.
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