जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 के बाद क्या फिर सक्रिय होगा गुपकार गठबंधन, क्या है संभावना

जम्मू कश्मीर के विपक्षी दलों ने अनुच्छेद-370 और 35ए को हटाए जाने से पहले ही राज्य में गुपकार गठबंधन बनाया था. लेकिन लोकसभा चुनाव आते-आते यह गठबंधन बिखर गया. अब विधानसभा चुनाव के बाद क्या यह गठबंधन फिर सक्रिय हो सकता है. क्या है इसकी संभावना.

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नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर में आज विधानसभा चुनाव के तीसरे और अंतिम चरण का मतदान कराया जा रहा है. इसके साथ ही उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो जाएगी.अब तक के अनुमानों के मुताबिक जम्मू कश्मीर में किसी एक पार्टी या गठबंधन की सरकार बनते हुए नहीं दिख रही है. ऐसे में एक बार फिर गुपकार गठबंधन के सक्रिय होने की उम्मीद लगाई जा रही है. केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 और 35ए को निरस्त कर दिया था. इसके बाद जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दलों ने गुपकार गठबंधन बनाया था. इसमें कांग्रेस भी शामिल थी, लेकिन बाद में उनसे खुद को इससे अलग कर लिया था.

कब और कैसे बना था गुपकार गठबंधन

नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के श्रीनगर स्थित घर का पता है, 01, गुपकार रोड. अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाए जाने और सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाए जाने और पर्यटकों को राज्य छोड़ने की सलाह के बीच चार अगस्त 2019 को राज्य के आठ दलों ने बैठक की थी.इन दलों ने जम्मू कश्मीर के लिए केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ गठबंधन बनाया था. इसे गुपकार गठबंधन नाम दिया गया था. इसके एक दिन बाद ही केंद्र सरकार ने संसद के जरिए अनुच्छेद-370 और 35 ए हटा दिया था.इसके करीब एक साल बाद 22 अगस्त को गुपकार गठबंधन के नेता फारूक अब्दुल्ला के घर पर फिर मिले.

गुपकार गठबंधन के घोषणा पत्र में आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35ए की बहाली की बात की गई थी. सरकार से जम्मू-कश्मीर के संविधान और उसके पूर्ण राज्य के दर्जे को बहाल करने की मांग की गई थी. गठबंधन ने कहा था, हम राज्य की पुरानी स्थिति के बहाल होने तक लड़ाई लड़ते रहेंगे.गठबंधन ने एक प्रस्ताव पारित कर कहा था, ''5 अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार द्वारा लिए गए फैसले असंवैधानिक थे जिनका मकसद जम्मू-कश्मीर को अधिकारों से वंचित करना है. साथ ही वहां के लोगों की मूल पहचान को चुनौती देना भी.''

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चुनाव में बिखरा गुपकार गठबंधन

गुपकार गठबंधन नें फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस के अलावा पीडीपी, पीपल्स कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस, सीपीएम, पीपल्स यूनाइटेड फ्रंट,पैंथर्स पार्टी और अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस शामिल थे. लेकिन अंतिम समय में कांग्रेस इससे निकल गई थी. लोकसभा चुनाव आते-आते यह गठबंधन पूरी तरह से बिखर गया. उम्मीद की जा रही थी कि गुपकार गठबंधन विधानसभा चुनाव में फिर एक हो. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने आपस में गठबंधन कर लिया. लेकिन इसमें पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) को अपने साथ नहीं लिया. इस वजह से पीडीपी अकेले ही चुनाव लड़ रही है. 

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चुनाव घोषणा पत्र में अनुच्छेद-370 और 35ए

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने कोई साझा घोषणा पत्र जारी नहीं किया है. दोनों का घोषणा पत्र अलग-अलग है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के घोषणा पत्र में अनुच्छेद-370 और 35एक की बहाली का जिक्र है.वहीं कांग्रेस ने इस पूरे मामले में चुप्पी साध रखी है. इसी तरह से पीडीपी के घोषणा पत्र में भी अनुच्छेद-370 और 35एक की बहाली का जिक्र है. जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 और 35एक खत्म किए जाने के बाद से पीडीपी काफी संकट से गुजर रही है. उसके कई बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं. यहां तक कि लोकसभा चुनाव में भी पीडीपी कोई सीट नहीं जीत पाई. यहां तक की पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ्ती खुद चुनाव हार गईं.नेशनल कॉन्फ्रेंस दो सीटें जीतने में तो कामयाब रही, लेकिन उसके दूसरे सबसे बड़े नेता उमर अब्दुल्ला चुनाव हार गए. राज्य के दोनों बड़े दल नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी संकट से गुजर रही हैं.

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जम्मू कश्मीर में गठबंधन की राजनीति

विधानसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर में बहुत से निर्दलीय और छोटे-छोटे दल हिस्सा ले रहे हैं. विपक्षी दल इन्हें बीजेपी का प्रॉक्सी बता रहे हैं. इससे उम्मीद लगाई जा रही है कि ये छोटे दल और निर्दलीय उम्मीदवार परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं. इसी आधार पर किसी दल या गठबंधन को बहुमत नहीं मिलने के आसार लगाए जा रहे हैं.अगर ऐसे हालात पैदा होते हैं तो गुपकार गठबंधन में शामिल दल एक बार फिर साथ आ सकते हैं.क्योंकि अनुच्छेद-370 और 35ए पर उनकी राय एक है. राष्ट्रीय स्तर पर बने इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के साथ-साथ नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी भी शामिल हैं. ऐसी में संभावना जताई जा रही है कि विधानसभा चुनाव के बाद वो मिली-जुली सरकार बना सकते हैं. ऐसा पहले भी राज्य में हो चुका है. दो अलग-अलग विचारधारा का प्रनितिधित्व करने वाली बीजेपी और पीडीपी ने 2014 के चुनाव के बाद राज्य में गठबंधन की सरकार बनाई थी. 

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