जल जीवन मिशन पर केंद्र का बड़ा फैसला, गड़बड़ियां दूर होने के बाद ही मिलेगी राशि

जल जीवन मिशन 15 अगस्त 2019 को शुरू किया गया था और इसे 2024 तक पूरा किया जाना था. इसके तहत सभी ग्रामीण परिवारों को नल कनेक्शन देने के लक्ष्य हैं ताकि हर घर को पीने का साफ पानी मिल सके. इसी साल बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने इसे 2028 तक बढ़ाने की घोषणा की है ताकि 100 प्रतिशत घरों में नल से जल पहुंचाया जा सके.

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  • केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन की खामियों को दूर किए बिना बकाया राशि जारी नहीं करने का निर्णय लिया है
  • योजना के तहत हर ग्रामीण परिवार को नल कनेक्शन देकर साफ पीने के पानी की व्यवस्था करना लक्ष्य है
  • 100 विशेष टीमों ने परियोजनाओं की जांच की जिसमें कई स्थानों पर खराब गुणवत्ता और देरी पाई गई है
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नई दिल्ली:

हर ग्रामीण घर तक नल से जल पहुंचाने की केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना जल जीवन मिशन को लेकर बड़ा फैसला किया गया है. यह तय हुआ है कि इस योजना की मौजूदा खामियों और गड़बड़ियों को दूर करने के बाद ही बकाया राशि जारी की जाएगी. ऐसा इसलिए क्योंकि कई जगहों पर प्रोजेक्ट में देरी हुई है और कई जगहों पर काम की गुणवत्ता संतोषजनक नहीं पाई गई है.

जल जीवन मिशन 15 अगस्त 2019 को शुरू किया गया था और इसे 2024 तक पूरा किया जाना था. इसके तहत सभी ग्रामीण परिवारों को नल कनेक्शन देने के लक्ष्य हैं ताकि हर घर को पीने का साफ पानी मिल सके. इसी साल बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने इसे 2028 तक बढ़ाने की घोषणा की है ताकि 100 प्रतिशत घरों में नल से जल पहुंचाया जा सके. इसके लिए 2025-26 में 67 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है.

कल एक उच्चस्तरीय बैठक में इस योजना की समीक्षा की गई. इस बैठक में योजना की जांच के लिए बनाई गईं 100 विशेष टीमों की प्रारंभिक रिपोर्ट पर भी विस्तार से चर्चा हुई. रिपोर्ट में पाया गया कि कई राज्यों में ठेकेदारों ने निम्न गुणवत्ता का काम किया. इसके बाद कई जगहों पर भुगतान भी रोका गया है. उदाहरण के तौर पर कुछ जगहों पर कोविड लॉकडाउन के समय अधिक दाम पर माल सप्लाई किया गया जबकि उन दिनों मांग कम होने के कारण वही माल कम दाम पर मिलना चाहिए था. यह भी फैसला हुआ है कि गड़बड़ियों के लिए दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. यह भी पाया गया कि इस योजना में लगे थर्ड पार्टी का प्रदर्शन भी कई जगहों पर संतोषजनक नहीं है.

आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने इस साल मई में जल जीवन मिशन के तहत चल रही परियोजनाओं में देरी, लागत में इजाफा और क्वालिटी से जुड़े सवालों की जांच के लिए 100 विशेष टीमों का गठन किया था. ये टीमें 29 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 135 जिलों की 183 परियोजनाओं की जांच कर रही हैं. इन टीमों में 75 संयुक्त सचिव और 106 डायरेक्टर शामिल हैं.

जांच के लिए भेजने से पहले इन टीमों की ट्रेनिंग भी हुई ताकि वे जमीनी हालात का सही से आकलन कर सकें. जांच का मुख्य मकसद परियोजनाओं में देरी की वजह, लागत वृद्धि और काम की गुणवत्ता से जुड़ी शिकायतों का पता लगाना है.

ताजा आंकड़ों के अनुसार योजना के मुताबिक करीब 81 प्रतिशत लक्ष्य पूरा कर लिया गया है. पंजाब, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश समेत 11 राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों ने इस मिशन के तहत 100 प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया है. लेकिन विपक्ष शासित केरल, झारखंड, पश्चिम बंगाल और एनडीए शासित राजस्थान, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में इसकी प्रगति बहुत धीमी है. 

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केंद्र सरकार का यह कदम जल जीवन मिशन को समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण तरीके से पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है. जांच के बाद सामने आने वाली रिपोर्ट से परियोजनाओं को गति देने और कमियों को दूर करने में मदद मिलने की उम्मीद है.

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