ओडिशा सरकार ने शनिवार को कहा कि इस साल वार्षिक रथयात्रा उत्सव श्रद्धालुओं की भीड़ के बगैर ही होगा और उन्हें रथ के मार्ग में छतों से भी रस्म देखने की अनुमति नहीं होगी. पुरी के जिलाधिकारी समर्थ वर्मा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि प्रशासन ने अपने फैसले की समीक्षा की है और रथयात्रा का दृश्य घरों एवं होटलों की छतों से देखने पर भी पाबंदी लगा दी गयी है. उन्होंने कहा कि 12 जुलाई को होने वाले इस उत्सव से एक दिन पहले पुरी शहर में कर्फ्यू लगाया जाएगा जो अगले दिन दोपहर तक प्रभाव में रहेगा. वर्मा ने कहा कि भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ का यह उत्सव कोविड-19 महामारी के चलते लगातार दूसरे वर्ष बिना श्रद्धालुओं की भागीदारी के मनाया जा रहा है. उन्होंने शहर के लोगों से टेलीविजन पर इस उत्सव का सीधा प्रसारण देखने की अपील की.
सेवादारों, पुलिस कर्मियों और अधिकारियों की चार बार होगी आरटी-पीसीआर जांच
रथयात्रा में शामिल होने वाले पुजारियों, पुलिस कर्मियों और सरकारी अधिकारियों को कम से कम चार बार आरटी-पीसीआर जांच से गुजरना होगा. यह फैसला कोविड-19 संक्रमण के खतरे को न्यूनतम करने के प्रयास के तहत किया गया है. अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के अध्यक्ष डॉ.कृष्ण कुमार की अध्यक्षता में पुरी में हुई बैठक में सभी हितधारक इस फैसले पर सहमत हुए कि लगातार जांच से 12 जुलाई को होने वाली भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा की तैयारी में लगे सभी व्यक्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी. यह तैयारियां और अनुष्ठान करीब एक महीने तक चलते हैं.
रथ यात्रा को सीमित करने के फैसले के खिलाफ कोर्ट में याचिका
ओडिशा सरकार के कोविड के कारण रथ यात्राओं को मंदिर तक ही सीमित रखने के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज करने के उड़ीसा उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि धार्मिक रिवाज पर पूर्ण प्रतिबंध “धर्म के अधिकार के खिलाफ है.”
पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा एक वार्षिक उत्सव है और इस बार यह 12 जुलाई को होनी है. याचिका में कहा गया कि ओडिशा सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 में निहित शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए 10 जून को एक आदेश पारित किया जिसके तहत रथ यात्रा को शीर्ष अदालत द्वारा पिछले साल पारित आदेश में तय शर्तों के मुताबिक निकालने की अनुमति दी गई है.