इसरो रखेगा पर्यावरण का ध्यान, मानव अंतरिक्ष मिशन में होगा ऐसी ग्रीन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल

ISRO ने दिसंबर 2021 तक अपने पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन ‘गगनयान’ को प्रक्षेपित करने की योजना बनाई थी. लेकिन इस महीने के शुरू में इसरो ने संकेत दिए कि कोरोना महामारी के प्रभाव के कारण इसमें एक वर्ष का विलंब हो सकता है.

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चेन्नई:

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अंतरिक्ष के अपने भावी अभियानों के दौरान प्रदूषणकारी तत्वों में कमी लाकर
पर्यावरण का भी ध्यान रखेगा. इसरो प्रमुख के सिवन ने शनिवार को इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इसरो मानव को अंतरिक्ष में भेजने के अपने मिशन ‘गगनयान' के लिए ‘ग्रीन प्रपोल्शन' का विकास कर रही है. ताकि पर्यावरण को कम से कम क्षति पहुंचे. एसआरएम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के 16वें दीक्षांत समारोह में सिवन ने ये बातें कहीं.

सिवन ने कहा कि ग्रीन टेक्नोलॉजी (Green Technology) को रॉकेट के हर चरण में इस्तेमाल में अपनाया जा सकता है. ग्रीन प्रपोल्शन या हरित प्रणोदक अंतरिक्ष अनुसंधान का महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह अंतरिक्ष यान और सैटेलाइट की गति तेज करने में मददगार होता है. इसरो प्रमुख (Isro Chief K sivan) ने कहा, ‘‘भारत आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. उसे यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि पर्यावरण के अनुकूल ग्रीन टेक्नोलॉजी को अपनाकर पर्यावरणीय को पहुंचने वाला नुकसान सीमित किया जाए. लिहाजा इसरो मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिए हरित प्रणोदक विकसित कर रहा है. भविष्य में इसे सभी मिशनों में सभी स्तर पर लागू किया जा सकता है.

अंतरिक्ष एजेंसी ने दिसंबर 2021 तक अपने पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन ‘गगनयान' (Gaganyan) को प्रक्षेपित करने की योजना बनाई थी. लेकिन इस महीने के शुरू में इसरो ने संकेत दिए कि कोरोना महामारी के प्रभाव के कारण इसमें एक वर्ष का विलंब हो सकता है. छात्रों को डिजिटली संबोधित करते हुए इसरो प्रमुख ने कहा कि आप विफल हो सकते हैं, लेकिन प्रत्येक विफलता एक उपयोगी सबक सिखाएगी. उन्होंने कहा कि हमारे अगले पीएसएलवी प्रक्षेपण में स्टार्टअप एजेंसियों के उपग्रह होंगे.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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