- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की टीम ने आगामी मिशन से पहले तिरुपति में भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन और पूजा की
- ISRO 24 दिसंबर को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से LVM3-M6 मिशन के तहत BlueBird Block-2 उपग्रह लॉन्च करेगा
- यह उपग्रह लो अर्थ ऑर्बिट में स्थापित होगा और स्मार्टफोन पर सीधे हाई-स्पीड मोबाइल ब्रॉडबैंड सेवा प्रदान करेगा
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की लॉन्च टीम ने अपने अपकमिंग ऐतिहासिक मिशन से पहले तिरुमला तिरुपति में भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन किए. ISRO के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन और सीनियर वैज्ञानिकों ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के तहत पूजा-अर्चना की और सफल लॉन्च के लिए आशीर्वाद मांगा. यह परंपरा दशकों से चली आ रही है, जिसमें हर बड़े अंतरिक्ष मिशन से पहले ISRO के वैज्ञानिक तिरुपति जाकर भगवान की प्रार्थना करते हैं.
क्या है मिशन?
ISRO 24 दिसंबर को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से एक अगली पीढ़ी का कम्यूनिकेशन सैटेलाइट लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है. इस मिशन का नाम LVM3-M6 है और इसे भारत के हेवी-लिफ्ट लॉन्च व्हीकल LVM3 (लॉन्च व्हीकल मार्क-III) के जरिए लॉन्च किया जाएगा. इस मिशन में BlueBird Block-2 उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा, जिसे अमेरिकी कंपनी AST SpaceMobile के साथ वाणिज्यिक समझौते के तहत विकसित किया गया है.
लॉन्च 24 दिसंबर 2025 की सुबह सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC SHAR), श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड से होगा. इसका मुख्य उद्देश्य उपग्रह को लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में स्थापित करना है, ताकि दुनिया भर में स्मार्टफोन पर सीधे हाई-स्पीड मोबाइल ब्रॉडबैंड उपलब्ध कराया जा सके. यह तकनीक 4G और 5G सेवाओं को बिना किसी अतिरिक्त हार्डवेयर के सीधे मोबाइल फोन तक पहुंचाने में सक्षम होगी.
BlueBird Block-2 की खासियत
BlueBird Block-2 सैटेलाइट वैश्विक सैटेलाइट कम्युनिकेशन में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य दुनिया के हर कोने में कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना है. यह तकनीक 4G और 5G सेवाओं को सीधे सामान्य मोबाइल फोन पर उपलब्ध कराएगी, जिससे वॉइस कॉल, मैसेजिंग, स्ट्रीमिंग और डेटा सर्विस बिना किसी अतिरिक्त हार्डवेयर के संभव होगी. खास बात यह है कि यह सुविधा दूरदराज और दुर्गम इलाकों में भी उपलब्ध कराई जाएगी, जहां नेटवर्क पहुंचना मुश्किल होता है.
दशकों से निभाई जा रही परपंरा
ISRO की परंपरा और आस्था भी इस मिशन का हिस्सा है. वैज्ञानिकों का मानना है कि तकनीक और मेहनत के साथ-साथ आस्था भी सफलता में अहम भूमिका निभाती है. इसी वजह से हर बड़े मिशन के लॉन्च से पहले ISRO टीम तिरुपति जाकर भगवान वेंकटेश्वर से आशीर्वाद लेती है. यह परंपरा दशकों से चली आ रही है और इस बार भी वैज्ञानिकों ने आगामी लॉन्च से पहले पूजा-अर्चना की.














