- इसरो ने गगनयान मिशन के लिए पैराशूट आधारित गति धीमी करने की प्रणाली का एयर ड्रॉप परीक्षण सफलतापूर्वक किया.
- यह परीक्षण इसरो, भारतीय वायु सेना, डीआरडीओ, भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल के संयुक्त प्रयास से संपन्न हुआ.
- गगनयान मिशन का उद्देश्य मानव अंतरिक्ष यात्रा कराकर सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने की भारत की क्षमता दिखाना है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आगामी गगनयान मिशन के लिए पैराशूट आधारित गति धीमी करने से संबंधित प्रणाली को परखने के लिए रविवार को पहला एकीकृत ‘एयर ड्रॉप' परीक्षण (आईएडीटी-01) सफलतापूर्वक किया. इसरो के एक अधिकारी ने बताया कि यह परीक्षण आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के निकट किया गया_ यह अभ्यास इसरो, भारतीय वायु सेना, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक द्वारा संयुक्त रूप से किया गया.
क्यों जरूरी था टेस्ट
गगनयान परियोजना का उद्देश्य भारत की यह क्षमता प्रदर्शित करना है कि वह मनुष्यों को अंतरिक्ष में भेजकर सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस ला सकता है. देश के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन के रूप में योजनाबद्ध यह परियोजना, चालक दल की सुरक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण प्रणालियों की जांच के लिए पूर्ववर्ती मानवरहित मिशनों को भी शामिल करेगी. पैराशूट-आधारित गति धीमी करने की प्रणाली धरती पर लौटने और लैंडिंग के दौरान चालक दल के मॉड्यूल की सुरक्षित रूप से वापसी सुनिश्चित करने के संबंध में एक प्रमुख घटक है.
क्या बोले रक्षा मंत्री
दूसरी ओर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और तीन और चुने गए गगनयात्रियों को देश के ‘रत्न' और राष्ट्रीय आकांक्षाओं का अग्रदूत करार दिया. उन्होंने कहा कि गगनयान मिशन आत्मनिर्भर भारत की यात्रा में एक ‘नए अध्याय' का प्रतीक है. सिंह ने यहां सुब्रतो पार्क में भारतीय वायुसेना द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में चार गगनयात्रियों को सम्मानित किया. यह समारोह ‘एक्सिओम 4' मिशन की सफलता के बाद आयोजित किया गया है जिसमें शुक्ला भी शामिल थे और उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया था.
गगनयान के लिए तैयार देश
सिंह ने कहा, ‘हम अंतरिक्ष को केवल अनुसंधान के क्षेत्र के रूप में नहीं, बल्कि कल की अर्थव्यवस्था, सुरक्षा, ऊर्जा एवं मानवता के भविष्य के रूप में भी देखते हैं.' उन्होंने कहा कि भारत पृथ्वी की सतह से आगे बढ़कर ‘अंतरिक्ष के नए क्षेत्रों' की ओर लगातार आगे बढ़ रहा है. रक्षा मंत्री ने कहा कि हम चंद्रमा से लेकर मंगल तक अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं और आज देश गगनयान जैसे अभियानों के लिए पूरी तरह तैयार है.