आतंकवाद को पनाह देने वाले देशों को ‘अलग-थलग’ और ‘बेनकाब’ करें : SCO शिखर सम्मेलन में भारत

जयशंकर ने कहा कि पिछले साल भारत की अध्यक्षता के दौरान इस विषय पर जारी संयुक्त बयान नयी दिल्ली की साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है.

Advertisement
Read Time: 6 mins
नई दिल्ली:

भारत ने बृहस्पतिवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उन देशों को ‘अलग-थलग और ‘बेनकाब' करने को कहा जो आतंकवादियों को प्रश्रय देते हैं, उन्हें सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराते हैं और आतंकवाद को नजरअंदाज करते हैं. भारत ने चीन और पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर आतंकवाद को बेलगाम छोड़ दिया गया तो यह क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए बड़ा खतरा बन सकता है.

कजाखस्तान की राजधानी अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद के शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण पढ़ते हुए बैठक में भौतिक रूप से उपस्थित विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि एससीओ का एक मूल लक्ष्य आतंकवाद का मुकाबला करना है.

जयशंकर ने सम्मेलन में कहा, ‘‘हममें से कई लोगों के अपने अनुभव हैं, जो अक्सर हमारी सीमाओं से परे सामने आते हैं. यह बात स्पष्ट होनी चाहिए कि अगर आतंकवाद को बेलगाम छोड़ दिया गया तो यह क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है. किसी भी रूप या स्वरूप में आतंकवाद को उचित नहीं ठहराया जा सकता या माफ नहीं किया जा सकता.''

सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी शामिल हुए.

जयशंकर ने पाकिस्तान और उसके सहयोगी चीन के परोक्ष संदर्भ में कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ‘‘उन देशों को अलग-थलग करना चाहिए और बेनकाब कर देना चाहिए जो आतंकवादियों को पनाह देते हैं, सुरक्षित पनाहगाह प्रदान करते हैं और आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं''.

चीन ने अक्सर पाकिस्तान स्थित वांछित आतंकवादियों को काली सूची में डालने के लिए संयुक्त राष्ट्र में प्रस्तुत प्रस्तावों को अवरुद्ध दिया है.

उन्होंने कहा, ‘‘सीमापार आतंकवाद के लिए निर्णायक प्रतिक्रिया चाहिए और आतंकवाद के वित्तपोषण तथा भर्ती से दृढ़ता से निपटना होगा. हमें हमारे नौजवानों के बीच कट्टरता फैलाने के प्रयासों को रोकने के लिए सक्रियता से कदम उठाने चाहिए.''

जयशंकर ने कहा कि पिछले साल भारत की अध्यक्षता के दौरान इस विषय पर जारी संयुक्त बयान नयी दिल्ली की साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है.

जयशंकर ने बाद में सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर लिखा, ‘‘प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की ओर से एससीओ के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद के शिखर सम्मेलन में भारत का वक्तव्य दिया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लगातार तीसरी बार निर्वाचित होने पर शुभकामनाएं देने के लिए सम्मेलन में उपस्थित नेताओं को धन्यवाद.''

Advertisement

बाद में, जयशंकर ने एससीओ राष्ट्राध्यक्ष परिषद की विस्तारित बैठक में प्रधानमंत्री मोदी का भाषण प्रस्तुत किया, जहां उन्होंने चुनौतियों के बारे में बात की और कहा कि आतंकवाद निश्चित रूप से हममें से कई लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण होगा.

उन्होंने कहा, “सच तो यह है कि राष्ट्रों द्वारा इसे अस्थिरता के औजार के रूप में इस्तेमाल किया जाना जारी है. सीमा पार आतंकवाद के साथ हमारे अपने अनुभव हैं. हमें यह स्पष्ट कर देना चाहिए कि किसी भी रूप या अभिव्यक्ति में आतंकवाद को उचित नहीं ठहराया जा सकता और न ही उसे क्षमा किया जा सकता है. आतंकवादियों को शरण देने की कड़ी निंदा की जानी चाहिए.”

Advertisement

उन्होंने कहा, “सीमा पार आतंकवाद को निर्णायक जवाब देने की आवश्यकता है और आतंकवाद के वित्तपोषण और भर्ती का प्रभावी ढंग से मुकाबला किया जाना चाहिए. एससीओ को अपनी प्रतिबद्धता से कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिए. इस संबंध में हम दोहरे मापदंड नहीं अपना सकते.”

जयशंकर ने यह भी कहा कि एससीओ विस्तारित परिवार वर्तमान अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा, “यह तभी संभव है जब ये प्रयास संयुक्त राष्ट्र और उसकी सुरक्षा परिषद तक विस्तारित हों. हमें उम्मीद है कि निकट भविष्य में हम मजबूत आम सहमति विकसित कर सकेंगे.”

Advertisement

उन्होंने कहा कि जब भू-अर्थशास्त्र की बात आती है, तो आज की जरूरत बहुविध, विश्वसनीय और लचीली आपूर्ति श्रृंखलाएं बनाए जाने की है. उन्होंने कहा कि भारत क्षमता निर्माण में अन्य देशों, विशेषकर वैश्विक दक्षिण के देशों के साथ साझेदारी करने के लिए तैयार है.

उन्होंने कहा कि वर्तमान वैश्विक विमर्श नए संपर्क संबंध बनाने पर केंद्रित है, जो पुनर्संतुलित विश्व के लिए बेहतर होगा. उन्होंने कहा कि यदि इसे गंभीर गति मिलनी है, तो इसके लिए कई लोगों के संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता होगी.

Advertisement

उन्होंने कहा, “इसमें राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान होना चाहिए तथा पड़ोसियों के साथ गैर-भेदभावपूर्ण व्यापार और पारगमन अधिकारों की नींव पर इसका निर्माण होना चाहिए.” उन्होंने ईरान में चाबहार बंदरगाह पर हुई प्रगति का भी उल्लेख किया.

उन्होंने अफगानिस्तान की भी चर्चा करते हुए कहा, “हमारे लोगों के बीच ऐतिहासिक संबंध हैं जो हमारे संबंधों का आधार हैं.” उन्होंने कहा कि भारत अफगान लोगों की जरूरतों और आकांक्षाओं के प्रति संवेदनशील है.

जयशंकर ने एससीओ को सिद्धांत आधारित संगठन बताया और कहा कि इस संगठन का हमारी विदेश नीति में प्रमुख स्थान है. उन्होंने कहा कि भारत इस क्षेत्र के लोगों के साथ गहरे सभ्यतागत संबंध साझा करता है.

जयशंकर ने कहा, ‘‘एससीओ के लिए मध्य एशिया की केंद्रीय भूमिका को पहचानते हुए, हमने उनके हितों और आकांक्षाओं को प्राथमिकता दी है. यह उनके साथ अधिक आदान-प्रदान, परियोजनाओं और गतिविधियों में परिलक्षित होता है.''

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे लिए एससीओ में सहयोग जन-केंद्रित रहा है. भारत ने अपनी अध्यक्षता के दौरान एससीओ मिलेट फूड फेस्टिवल, एससीओ फिल्म फेस्टिवल, एससीओ सूरजकुंड क्राफ्ट मेला, एससीओ थिंक-टैंक सम्मेलन और साझा बौद्ध विरासत पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया. हम स्वाभाविक रूप से अन्य देशों के इसी तरह के प्रयासों का समर्थन करेंगे.''

विदेश मंत्री ने सम्मेलन की सफल मेजबानी के लिए कजाखस्तान की तारीफ की और एससीओ की अगली अध्यक्षता के लिए चीन को भारत की ओर से शुभकामनाएं दीं. जयशंकर ने ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और अन्य लोगों की एक हेलीकॉप्टर हादसे में मृत्यु पर शोक जताया.

एससीओ का कामकाज बीजिंग से संचालित होता है. इसके नौ सदस्य देशों में भारत, ईरान, कजाखस्तान, चीन, किर्गिज, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान हैं. यह एक प्रभावशाली आर्थिक और सुरक्षा समूह बनकर उभरा है. बेलारूस इसमें 10वें सदस्य के रूप में शामिल हुआ है. कजाखस्तान एससीओ के मौजूदा अध्यक्ष के नाते सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है.
 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Assembly Elections 2024: Jammu-Kashmir Assembly Election Exit Poll Congress-NC के साथ ने दिखाया रंग
Topics mentioned in this article