क्या सरकार का फोकस सिर्फ वंदे भारत पर है, गरीबों के लिए ट्रेनों पर नहीं? रेल मंत्री का जवाब

बजट पेश करते समय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने सिर्फ एक बार रेलवे का नाम लिया. क्या सरकार का ध्यान अब रेलवे पर नहीं है? जानें रेल मंत्री से एनडीटीवी की एक्सक्लूसिव बातचीत...

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भारत ने अपने बजट में राजकोषीय घाटे को कम करते हुए नौकरियों और ग्रामीण विकास पर अधिक खर्च के साथ-साथ राज्यों को अधिक धन हस्तांतरित करने के बीच संतुलन बनाया. हालांकि इसमें रेलवे के लिए कोई बड़ी घोषणा नहीं हुई. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के 83 मिनट लंबे बजट भाषण के दौरान रेलवे शब्द का जिक्र सिर्फ एक बार हुआ. आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में सोमवार को कहा गया था कि नई लाइनों के निर्माण, गेज परिवर्तन और दोहरीकरण में महत्वपूर्ण निवेश के साथ पिछले पांच वर्षों में रेलवे पर पूंजीगत व्यय 77 प्रतिशत बढ़ गया है. वित्त मंत्री द्वारा संसद में पेश किए गए सर्वे के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2019-2020 में पूंजीगत व्यय 1.48 लाख करोड़ था, जो 2023-24 में बढ़कर 2.62 लाख करोड़ हो गया.

पहले और अब की सरकार का अंतर

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एनडीटीवी को बताया, "2014 से पहले, रेलवे के लिए पूंजीगत व्यय पर निवेश 35,000 करोड़ रुपये हुआ करता था. आज यह 2.62 लाख करोड़ है. यह रेलवे के लिए एक रिकॉर्ड पूंजीगत व्यय है. मैं इसके लिए प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री का बहुत आभारी हूं. अगर हम 2014 से पहले के 60 वर्षों को देखें तो नई ट्रेनों की घोषणा बिना यह जाने की गई कि पटरियों में क्षमता है भी या नहीं. बिल्कुल लोकलुभावन कदम उठाए गए. प्रधानमंत्री मोदी ने यह सुनिश्चित किया है कि रेलवे की नींव ठीक से तैयार हो.“ मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि मोदी सरकार में रेलवे ट्रैक, विद्युतीकरण के मामले में काफी काम हुआ है और पिछली सरकारों की तुलना में इसमें व्यापक सुधार देखा गया है.

मोदी सरकार में क्या काम हुए

रेलमंत्री ने कहा, "40,000 किमी रेलवे ट्रैक का विद्युतीकरण किया गया है. 31,000 किमी नए रेलवे ट्रैक का निर्माण किया गया है. यदि आप 2014 से पहले विद्युतीकरण को देखें, तो 60 वर्षों में 20,000 किमी का विद्युतीकरण किया गया था. 10 वर्षों में, 40,000 किमी का विद्युतीकरण किया गया है. यदि आप देखें ट्रैक निर्माण की गति, तो 2014 में यह केवल 4 किमी प्रति दिन थी, पिछले वित्तीय वर्ष में यह 14.5 किमी प्रति दिन थी. 5300 किमी नए ट्रैक का निर्माण किया गया है. पिछले साल सुरक्षा संबंधी गतिविधियों में निवेश 98,000 करोड़ रुपये था. इस वर्ष में सुरक्षा संबंधी गतिविधियों के लिए आवंटन  1,08,000 करोड़ रुपये है ताकि पुराने ट्रैकों को बदला जा सके. कवच 4.0 को पहले ही मंजूरी दे दी गई है. इसलिए अब इसे बहुत बड़े पैमाने पर लगाया जा सकता है." 

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यह पूछे जाने पर कि क्या रेलवे का ध्यान गरीबों के लिए ट्रेनों पर न होकर सिर्फ वंदे भारत पर है? रेलमंत्री ने स्पष्ट किया, "हमारे देश में एक बहुत बड़ी कम आय वाली जनसंख्या है और हम उनका ध्यान भी रखते हैं, लेकिन एक महत्वाकांक्षी जनसंख्या भी है. उस जनसंख्या का ध्यान रखने की जरूरत भी है. इसलिए हम दोनों का ध्यान रख रहे हैं.''

खरगे के आरोप, वैष्णव के जवाब

कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने एनडीए सरकार पर बेहद कमजोर रेल बजट पेश करने का आरोप लगाया और कहा कि रेलवे 'न इधर का, न उधर का' बन गया है. खरगे ने शिकायत की, "रेलवे दुर्घटनाएं हर दिन हो रही हैं, ट्रेनें रोक दी गईं हैं, कोचों की संख्या कम कर दी गई है. आम यात्री परेशान हैं, लेकिन बजट में रेलवे के बारे में कुछ नहीं कहा गया है, कोई जवाबदेही नहीं है."

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मंत्री ने जोर देकर कहा कि सुरक्षा पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है और सरकार रेल यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए सभी प्रयास कर रही है. जो भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटती है, उसका विश्लेषण करने के लिए हमारे पास एक बहुत मजबूत तंत्र है. हम इसे बहुत गंभीरता से लेते हैं. ऐसी हर घटना एक दुखद घटना है और हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उस तरह की घटना दोबारा न हो.

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