क्या सीमावर्ती राज्यों में प्राकृतिक आपदाओं के पीछे दुश्मन का हाथ? यह पता लगाने की जरूरत: राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा- जलवायु परिवर्तन अब केवल मौसम संबंधी घटना नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा है.

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (फाइल फोटो).
देहरादून/नई दिल्ली:

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कुछ सीमावर्ती राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा कि यह पता लगाने के लिए एक विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है कि क्या इसके पीछे भारत के विरोधी हैं. उन्होंने कहा, जलवायु परिवर्तन अब केवल मौसम संबंधी घटना नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा है.

वह विभिन्न राज्यों के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा 670 करोड़ रुपये की लागत से कार्यान्वित एक पुल और 34 अन्य सीमा क्षेत्र बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन करने के बाद जोशीमठ के पास ढाक गांव में एक सभा को संबोधित कर रहे थे.

सिंह ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में ऐसी घटनाओं की संख्या में वृद्धि को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और जरूरत पड़ने पर सरकार इस मुद्दे पर मित्र देशों से सहयोग मांगेगी.

उनकी टिप्पणियां चीन द्वारा लद्दाख, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश के सीमांत क्षेत्रों को पार करने वाली लगभग 3,500 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सीमा बुनियादी ढांचे को बढ़ाने की पृष्ठभूमि में आई है.

सिंह ने किसी देश का नाम लिए बगैर कहा, “उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और लद्दाख जैसे कुछ राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में प्राकृतिक आपदाओं की आवृत्ति बढ़ी है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह जलवायु परिवर्तन से जुड़ा है. लेकिन मुझे लगता है कि यह पता लगाने के लिए एक अध्ययन की जरूरत है कि क्या इसमें हमारे विरोधियों की भी कोई भूमिका है.”

रक्षा मंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन अब केवल मौसम संबंधी घटना नहीं रह गई है बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ी हुई है. उन्होंने कहा कि इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्राकृतिक आपदाओं की आवृत्ति में वृद्धि को रक्षा मंत्रालय ने गंभीरता से लिया है.

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उन्होंने कहा, “हमारा मानना है कि इस विषय के विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है, जिसके लिए जरूरत पड़ने पर मित्र देशों की मदद भी ली जा सकती है.”

सिंह ने उत्तराखंड में सीमांत क्षेत्रों से बड़े पैमाने पर हो रहे पलायन का जिक्र करते हुए इसे चिंता का विषय बताया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बुनियादी ढांचे के विकास से जुड़ी योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचा रहे हैं.

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उन्होंने कहा कि सीमा क्षेत्र के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए मोदी सरकार का दृष्टिकोण पिछली सरकारों से अलग है.

उन्होंने कहा, “सीमा के पास रहने वाले लोग सैनिकों से कम नहीं हैं. अगर एक सैनिक वर्दी पहनकर देश की रक्षा करता है, तो सीमावर्ती क्षेत्रों के निवासी अपने तरीके से मातृभूमि की सेवा कर रहे हैं.”

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सिंह ने कहा कि मोदी सरकार ने पिछली सरकारों द्वारा अपनाए गए दृष्टिकोण को बदल दिया है कि सीमावर्ती क्षेत्र मैदानी इलाकों और संभावित प्रतिद्वंद्वी के बीच बफर जोन हैं.

उन्होंने कहा, “हम सीमावर्ती क्षेत्रों को बफर जोन नहीं मानते हैं. हमारे लिए वे हमारी मुख्यधारा का हिस्सा हैं. हम अपनी विकास यात्रा में समुद्र से लेकर सीमा तक जाना चाहते हैं. इसीलिए हम अपने सीमावर्ती इलाकों में भी विश्वस्तरीय अवसंरचना तैयार कर रहे हैं.”

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उन्होंने कहा कि बीआरओ ने हाल के वर्षों में इसमें असाधारण भूमिका निभाई है. उन्होंने दुर्गम इलाके में पहाड़ी ढलान पर 1.5 किमी का मार्ग तैयार करके उत्तरकाशी जिले के सिल्कयारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को सफलतापूर्वक बचाने के लिए बीआरओ की महिला कर्मियों की भी प्रशंसा की.

शुक्रवार को जिन 35 परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया उनमें उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश के लिए छह सड़कें और 29 पुल शामिल हैं.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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