क्‍या NTA की लापरवाही NEET-NET छात्रों के भविष्य पर पड़ रही भारी, जानें इसका इतिहास

मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) द्वारा 2017 में स्थापित, राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) का उद्देश्य विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों में स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय स्तर की पात्रता परीक्षाओं (NEET, JEE Main, UGC NET आदि) को सुव्यवस्थित और कुशलतापूर्वक आयोजित करना है. औपचारिक रूप से 1 मार्च 2018 को स्‍थापित एनटीए स्थापना के 6 साल बाद भी सवालों के घेरे में हैं.

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नई दिल्‍ली:

केंद्र सरकार की राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) पर नीट-यूजी (NEET-UG) में कथित अनियमितताओं को लेकर काफी सवाल उठाए जा रहे हैं. इस बीच यूजीसी-नेट (UGC-NET) परीक्षा रद्द करने के बाद विपक्ष और छात्रों को गुस्‍सा काफी बढ़ गया है. ऐसे में केंद्र सरकार ने एनटीए के महानिदेशक के पद से सुबोध कुमार को हटा उनकी जगह रिटायर्ड IAS प्रदीप सिंह खरोला को एजेंसी का प्रमुख नियुक्‍त कर दिया है. वहीं, नीट-यूजी परीक्षा में कथित धांधली के मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है. साथ ही एनटीए के कामकाज में सुधार के लिए एक हाई लेवल कमिटी बना दी है, जो मुश्किलों को दूर करने के लिए सुझाव देगी. एनटीए आखिर कैसे काम करता है? पेपर लीक के आरोपों के बीच एनटीए के नए महानिदेशक के सामने आखिर क्‍या चुनौतियां हैं..?   

क्‍या है राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA)

मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) द्वारा 2017 में स्थापित, राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) का उद्देश्य विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों में स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय स्तर की पात्रता परीक्षाओं (NEET, JEE Main, UGC NET आदि) को सुव्यवस्थित और कुशलतापूर्वक आयोजित करना है. औपचारिक रूप से 1 मार्च 2018 को स्‍थापित एनटीए स्थापना के 6 साल बाद भी सवालों के घेरे में हैं. सरकार इस एजेंसी का गठन यह सोचकर किया था कि छात्रों को इससे सहूलियत होगी. सरकार के काम में पारदर्शिता दिखाई देगी. लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है. केंद्र की मोदी सरकार भी अब इसे लेकर काफी गंभीर नजर आ रही है, क्‍योंकि सवाल छात्रों के भविष्‍य पर खड़ा हो रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छात्रों की शिक्षा को लेकर शुरुआत से काफी गंभीर रहे हैं. वे छात्रों के साथ सीधा संवाद करते हैं, ताकि उनकी परेशानियों को दूर किया जा सके.   

आखिर क्‍यों बार-बार उठते रहे हैं NTA पर सवाल 

पेपर लीक का मामला कोई नया नहीं है. यही वजह थी कि एनटीए का गठन किया गया. लेकिन एनटीए के मॉडल पर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं. हालांकि, इस बार मामला कुछ ज्‍यादा ही बढ़ गया है. विपक्ष हमलावर हो रहा है, वहीं छात्र भी सड़कों पर उतर आए हैं. इसे एनटीए मॉडल की विफलता ही कहेंगे कि सरकार को आज होने वाली नीट-पीजी की परीक्षा को स्‍थगित करना पड़ा है. सीएसआइआर-यूजीसी-नेट की परीक्षा को स्थगित कर दिया गया, जो 25 से 27 जून के बीच होनी थी. पिछले 5 सालों में उत्‍तर प्रदेश से जम्‍मू-कश्‍मीर तक लगभग 15 राज्‍यों में 40 से ज्‍यादा भर्ती परीक्षाओं के कथित पेपर लीक के मामले सामने आए हैं. इससे करोड़ों छात्रों के भविष्‍य पर सवालिया निशान लग गया है.

ISRO के पूर्व प्रमुख की अध्यक्षता में 7 सदस्यीय समिति का गठन 

शिक्षा मंत्रालय ने एनटीए के कामकाज की समीक्षा करने और परीक्षा सुधारों की सिफारिश करने के लिए इसरो के पूर्व प्रमुख के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति का गठन भी किया. इससे पहले मंत्रालय ने नीट-पीजी प्रवेश परीक्षा स्थगित कर दी. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, "हम पारदर्शी, गड़बड़ी और त्रुटि रहित परीक्षाओं के पक्षधर हैं. परीक्षा सुधारों को लेकर एक समिति गठित की गई है. अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है और मामला सीबीआई को सौंप दिया गया है." नीट-यूजी परीक्षा पांच मई को 4,750 केंद्रों पर आयोजित की गई थी और इसमें करीब 24 लाख परीक्षार्थी शामिल हुए थे. परीक्षा परिणाम 14 जून को घोषित होने थे, लेकिन चार जून को घोषित कर दिए गए थे.

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