क्या जातिगत जनगणना के मुद्दे पर CM नीतीश कुमार तेजस्वी के कंधों का इस्तेमाल कर रहे हैं?

इस मुद्दे पर तेजस्वी की घोषणा के तुरंत बाद उन्हें वीआईपी पार्टी का समर्थन मिल गया. वीआईपी सुप्रीमो मुकेश मल्लाह ने कहा है कि इस मुद्दे पर वो तेजस्वी के स्टैंड के साथ हैं. वहीं सोमवार को जनता दरबार के बाद नीतीश से उनके स्क्रिप्टेड संवाददाता सम्मेलन में जब पूछा गया कि वो अगला कदम कब उठाएंगे तो उसके बारे में मुख्यमंत्री कुछ भी साफ़ नहीं बोल पाए.

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जातिगत जनगणना पर पहले भी नीतीश कुमार तेजस्वी के साथ मीटिंग कर चुके हैं.
पटना:

जातिगत जनगणना (Caste Census) को बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) ने अपनी कुर्सी बचाने के चक्कर में ठंडे बस्ते में डाल दिया है, ये बात अब किसी से छिपी नहीं रही. इसका प्रमाण है पिछले छह महीने से उनका इस मुद्दे पर एक ही तरह का जवाब कि जल्द ही सर्वदलीय बैठक बुलाकर आम राय बनाई जाएगी कि इसे कैसे लागू करेंगे? लेकिन नीतीश के इस टालमटोल रवैए से तंग आकर राष्ट्रीय जनता दल ने अब आक्रामक रुख़ अपनाते हुए सड़क पर जाने का फ़ैसला किया है. सोमवार को विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने पटना से नई दिल्ली तक इस मुद्दे पर पदयात्रा करने की घोषणा की है. 

हालाँकि, तेजस्वी ने अपने इस प्रस्तावित पदयात्रा का कार्यक्रम यानी ये कब से शुरू होगा, इसके बारे में नहीं बताया है लेकिन ये बात साफ़ है कि उन्हें इस बात का अंदाज़ा है कि नीतीश भाजपा के दबाव में इस मुद्दे पर अगला कदम उठाने से हिचक रहे हैं. इसलिए उन पर दबाव बनाने के लिए अब पार्टी के पास इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा. हालाँकि, इस घोषणा के पूर्व तेजस्वी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ कई मुद्दों पर गहन मंथन किया था.

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वहीं, इस मुद्दे पर तेजस्वी की घोषणा के तुरंत बाद उन्हें वीआईपी पार्टी का समर्थन मिल गया. वीआईपी सुप्रीमो मुकेश मल्लाह ने कहा है कि इस मुद्दे पर वो तेजस्वी के स्टैंड के साथ हैं. वहीं सोमवार को जनता दरबार के बाद नीतीश से उनके स्क्रिप्टेड संवाददाता सम्मेलन में जब पूछा गया कि वो अगला कदम कब उठाएंगे तो उसके बारे में मुख्यमंत्री कुछ भी साफ़ नहीं बोल पाए. उनका जवाब पुराना रटा रटाया था. नीतीश इस मुद्दे पर भाजपा के दबाव में साफ़ दिख रहे हैं. 

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हालाँकि, भाजपा नेताओं का कहना है कि तेजस्वी की इस घोषणा से नीतीश निश्चित रूप से खुश होंगे क्योंकि अब उनके पास एक आधार हो गया कि वो भाजपा नेतृत्व को अब ये सफ़ाई दे सकें कि उन्होंने और अधिक विलंब किया तो तेजस्वी इस मुद्दे पर हीरो हो जाएँगे, जिसका ख़ामियाज़ा ना केवल उन्हें बल्कि भाजपा को भी उठाना पड़ सकता है.

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भाजपा नेताओं के अनुसार ये पूरा मामला नीतीश -तेजस्वी के बीच (कम से कम इस मुद्दे पर) पहले से ही तय लग रहा है. नीतीश जब भी किसी मुद्दे पर असहज रहते हैं तो वो इस तरह की टैक्टिक्स जरूर अपनाते हैं. हाल के दिनों में उन्होंने तेजस्वी के कंधों का भरपूर इस्तेमाल किया है, जिसका एक बड़ा उदाहरण केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे की पूर्व संध्या पर तेजस्वी यादव द्वारा आयोजित इफ़्तार में शामिल होना है और अगले ही दिन अपनी वरिष्ठता को ताक पर रखकर उनकी अगुवाई में फूलों का गुलदस्ता लेकर स्वागत करने एयरपोर्ट पहुँच गए.

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