कैसे AAP की मेहनत और प्रशांत किशोर की रणनीति ने जिताई दिल्ली, पढ़ें इनसाइड स्टोरी

दिल्ली में आदमी पार्टी के फ़िरोज़शाह रोड में बने वॉर रूम में भी हलचल मची हुई थी, प्रशांत किशोर I-Pac के तमाम कर्मचारी अपने लैपटॉप लेकर हर बूथ से फ़ीडबैक लेकर विश्लेषण में लगे हुए थे.

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दिल्ली के नतीजों के बाद अरविंद केजरीवाल और प्रशांत किशोर
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वोटिंग प्रतिशत कम होने की शंका से चिंतित थे AAP नेता
प्रशांत किशोर ने अपनी टीम के साथ मिलकर निकाला समस्या का हल
आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं से बढ़ सका वोटिंग प्रतिशत
नई दिल्ली:

Delhi Election Result: बीजेपी के ज़बरदस्त हाई प्रोफ़ाइल और तूफ़ानी चुनाव प्रचार के बाद 8 फ़रवरी 2019 देश भर की नज़रें दिल्ली पर टिकी हुई थीं, विधानसभा (Delhi Assembly Election 2020) के लिए मतदान चालू था दोपहर 3 बजे तमाम टीवी चैनलों के स्टूडियो में चर्चा का विषय था दिल्ली में मतदान का कम प्रतिशत, लगभग 3:30 बजे तक चुनाव आयोग (Election Commission) के मुताबिक़ मतदान का प्रतिशत लगभग 40% था सभी राजनीतिक दलों की धड़कने तेज़ थीं ख़ासकर आम आदमी पार्टी (AAP) के तमाम नेताओं की जिनके लिए ये चुनाव पार्टी की और अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की साख के लिए बेहद ज़रूरी था.

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दिल्ली में आदमी पार्टी के फ़िरोज़शाह रोड में बने वॉर रूम में भी हलचल मची हुई थी, प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) I-Pac के तमाम कर्मचारी अपने लैपटॉप लेकर हर बूथ से फ़ीडबैक लेकर विश्लेषण में लगे हुए थे उनके साथ AAP के दिल्ली चुनाव के इंचार्ज संजय सिंह (Sanjay Singh) भी बराबर डटे हुए थे जब तमाम नेता कम वोटिंग प्रतिशत को लेकर परेशान नज़र आ रहे थे तब प्रशांत किशोर उन्हें समझा रहे थे कि अंत में वोट प्रतिशत 60% के ऊपर जाएगा और अगर वोटिंग प्रतिशत 60-65% के बीच रहता है तो दिल्ली में आम आदमी पार्टी को 55 से ज़्यादा सीटें मिलने जा रही हैं.

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प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) लगातार अपने सहयोगियों से कह रहे थे जिन बूथों पर कम वोटिंग हो रही है उनका ब्योरा दें और उस ब्योरे के आधार पर प्रशांत किशोर अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह से तमाम प्रत्याशियों को फ़ोन करा ज़्यादा से ज़्यादा वोटरों को बूथ तक ले जाने का संदेश दिलाते रहे, इन रणनीति का फ़ायदा ये हुआ कि जो 4 बजे के बाद बूथों पर वोटरों की भीड़ निकली वो आम आदमी पार्टी को वोट देने निकली जिसे बीजेपी नतीजों से ठीक पहले बीजेपी का वोटर बताती रही. पंजाब चुनाव के बाद अरविंद केजरीवाल और प्रशांत किशोर की मुलाक़ात हुई थी, प्रशांत किशोर ने पंजाब विधानसभा में कांग्रेस के लिए काम किया था.  

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मई 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को क़रारी हार का समना करना पड़ा था जिसके बाद से अनाधिकारिक तौर पर I-Pac ने दिल्ली में काम करना शुरू किया था , I-Pac की तमाम टीमें पूरी दिल्ली में घूम-घूम कर लोगों का फ़ीडबैक लेती रहीं और उसी फ़ीडबैक के आधार पर आम आदमी पार्टी के प्रचार का आधार रहे नारे या फिर पंच लाइन "अच्छे बीते 5 साल,लगे रहो केजरीवाल" तैयार किया गया, प्रशांत किशोर की टीम की मानें तो लोग उनसे बातचीत में यही कहते थे कि ये पांच साल अच्छे बीते हैं केजरीवाल को लगे रहना चाहिए यही वजह थी कि कैंपेन सॉंग जिसे संगीतकार विशाल डडलानी ने गाया और तैयार किया वो लोगों के फ़ीडबैक पर आधारित रहा.   

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14 दिसंबर 2019 को अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर प्रशांत किशोर के साथ काम करने की बात आधिकारिक की थी. दिसंबर से जो रणनीति तैयार की थी उसी के आधार पर काम शुरू हो गया सबसे पहले अरविंद केजरीवाल ने ख़ुद हस्ताक्षर किए हुए पत्र पूरी दिल्ली के 15000 प्रभावशाली शख़्सियतों को भेजे गए जिसमें तमाम व्यापारी,डॉक्टर,सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षक शामिल थे, फिर आम आदमी पार्टी के पांच साल किए गए कामों का रिपोर्ट कार्ड  तैयार किया जिसे आम आदमीं पार्टी के कार्यकर्ताओं ने घर-घर तक पहुंचाया. 

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रिपोर्ट कार्ड के बाद जनवरी में आगे 5 साल आम आदमीं पार्टी क्या करेगी इसका गारंटी कार्ड तैयार किया गया और वोटरों के घर घर तक पहुंचाया गया. पूरे कैंपेन को दो बिंदुओं पर आधारित रखा गया “विश्वसनीयता” जिसका प्रचार “अच्छे बीते 5 साल लगे रहो केजरीवाल” के साथ किया गया और “उम्मीद” जिसको ध्यान में रखकर वोटिंग से कुछ दिन पहले एक और पंचलाइन का प्रचार किया गया “ अच्छे होंगे 5 साल, दिल्ली में तो केजरीवाल”. होर्डिंग-पोस्टरों में इस्तेमाल हुए रंगों में भी बदलाव किया गया आम आदमी पार्टी का प्रचार बिल्कुल अलग रहे जिसके लिए नीले रंग का इस्तेमाल किया गया जो कि पहले कभी नहीं हुआ था.  
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