President Draupadi Murmu Submarine Visit: भारत की रक्षा क्षमताओं के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वदेशी निर्मित पनडुब्बी INS Vaghsheer पर सवार होकर गहरे समुद्र की यात्रा की. सुखोई और राफेल जैसे घातक लड़ाकू विमानों से आसमान नापने के बाद, अब राष्ट्रपति ने समंदर की गहराइयों में उतरकर भारतीय नौसेना की ताकत को करीब से महसूस किया. उनकी ये यात्रा भारत की बढ़ती नौसैनिक शक्ति और Make in India का एक सशक्त प्रतीक बनकर उभरी है.
पनडुब्बी पर राष्ट्रपति की पहली यात्रा
राष्ट्रपति ने कर्नाटक के करवाड़ नेवल बेस पर भारतीय नौसेना की स्वदेशी कलवरी क्लास की पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर पर सवार होकर समुद्री यात्रा की . राष्ट्रपति के साथ नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी भी साथ थे. पनडुब्बी पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की यह पहली यात्रा थी. इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ही ऐसे दूसरे राष्ट्रपति थे, जिन्होंने 2006 में विशाखपट्नम में पनडुब्बी में यात्रा कर चुके हैं .
डॉ. कलाम ने उस समय रूसी मूल की किलो-क्लास पनडुब्बी आईएनएस सिंधुरक्षक में समुद्री यात्रा की थी. वही रास्ट्रपति मुर्मू ने समुद्र के भीतर यात्रा करने के लिए स्वदेशी आईएनएस वाघशीर को चुना. इसे मुंबई के मझगांव डॉकयार्ड ने फ्रांस के सहयोग से देश मे ही बनाया हैं . इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल 15 जनवरी को राष्ट्र को समर्पित किया है. इसका नाम हिंद महासागर में पाई जाने वाली 'सैंड फिश' के नाम पर है. यह डीजल इलेक्ट्रिक अटैक सबमरीन है. आधुनिक तकनीक और फीचर्स से लैस यह पनडुब्बी पानी के भीतर दुश्मनों के लिये काल से कम नहीं हैं.
लड़ाकू विमान रफाल में भरी थी उड़ान
इससे पहले राष्ट्रपति मुर्मू इसी साल अक्टूबर महीने वायुसेना के लड़ाकू विमान रफाल पर उड़ान भर चुकी हैं. वही वायुसेना के सुखोई 30 एमकेआई लड़ाकू विमान पर भी वो 2023 में फ्लाई कर चुकी हैं. राष्ट्रपति मुर्मू पिछले साल 4 नवंबर को नौसेना का स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर भी जाकर नौसेना की ऑपेरशनल क्षमता से रूबरू हो चुकी हैं. आपको बता दे कि नौसेना का कारवार बेस पश्चिमी तट पर एक महत्वपूर्ण बेस है. यहां पर नौसेना के कई युद्धपोत और पनडुब्बियां तैनात हैं.
राष्ट्रपति की ये यात्रा महज एक औपचारिक नहीं थी, बल्कि उन जांबाज नौसैनिकों के प्रति सम्मान की अभिव्यक्ति थी जो हफ्तों तक सूरज की एक किरण देखे बिना, विषम परिस्थितियों में देश की समुद्री सीमाओं की रक्षा करते हैं. INS वाघशीर की गूंज और राष्ट्रपति की उपस्थिति दुश्मनों को एक कड़ा संदेश है कि भारत अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार और सक्षम है. ये दौरा 'आत्मनिर्भर भारत' के संकल्प को और अधिक सुदृढ़ करता है.














