भारतीय नौसेना की तरकश में एक और तीर आ गया है. नौसेना का पहला बड़ा सर्वेक्षण पोत आईएनएस इक्षक आज नौसेना में शामिल हो गया है. कोच्चि के नेवल बेस पर नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी की मौजदूगी में इसे पानी में उतारा गया. इस मौके पर नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने कहा कि आईएनएस इक्षक जैसे सर्वेक्षण जहाज नौसंचालन और सुरक्षित बनाने के लिए महत्वपूर्ण है. दक्षिणी नौसेना कमान में तैनात होनेवाले पहले पोत के रूप में इक्षक नौसेना की जल सर्वेक्षण क्षमताओं को बढ़ाने का काम करेगी. यह पोत सर्वे वेसल ( लार्ज ) वर्ग का तीसरा जहाज है, जो नौसेना में कमीशन हुआ है.
क्या होता है इक्षक का मतलब
इक्षक नाम का अर्थ है 'मार्गदर्शक. सही मायने में यह अपने नाम के अनुसार आईएनएस इक्षक सभी नौसैनिकों के लिए एक मार्गदर्शक है. यह भारत के विशाल समुद्री क्षेत्रों का मानचित्रण करने, नाविकों के लिए सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित करने और भारत की समुद्री शक्ति को बढ़ाने के लिए समर्पित होगा. सीधे शब्दों में समझे तो इसमें ऐसे आधुनिक सर्वेक्षण और नेविगेशन प्रणालियां लगे हैं, जो अनजान गहरे समुद्र और तटीय क्षेत्रों का सटीक मानचित्रण करने और समुद्री मानचित्रों की सटीकता सुनिश्चित करती है. यह समुद्र के भीतर हिमखंडों सहित पानी के नीचे की बाधाओं की पहचान करती है. उनके लिए सुरक्षित रास्ता बनाने में मदद करता है.
- इक्षक की खासियत की बात करें तो, इसे जल सर्वेक्षण के लिए बनाया गया है. यह मानवीय सहायता और आपदा राहत में भी अपना योगदान दे सकता है.
- इसकी मदद से नौसेना प्राकृतिक आपदाओं, युद्धकाल और जहाज़ दुर्घटनाओं की स्थिति में अपने अभियान को और तेजी से चलायेगी.
- फिलहाल इसमें 6 बिस्तरों वाला एक अस्पताल है. इसमें एक ऑपरेशन थियेटर, ब्लड बैंक, अल्ट्रासाउंड स्कैन और अन्य सभी उपचार सुविधाएं शामिल हैं.
- अस्पताल की क्षमता को 40 बिस्तरों तक बढ़ाया जा सकता है.
- इसमें महिला अधिकारियों के लिए अलग से सुविधा उपलब्ध है.
- इसमें दो इंजन लगे है. इसकी लंबाई 110 मीटर है, तो चौड़ाई 16 मीटर है. वजन 3400 टन है.
- इसे करीब 200 नौसैनिकों के लिए बनाया गया है. रफ्तार है करीब 30 किलोमीटर प्रतिघंटा.
- यह आधुनिकतम तकनीक से लैस है. इसमें हाई-रिजोल्यूशन मल्टी-बीम इको साउंडर सोनार सिस्टम, पानी के अंदर चलने वाली रोबोटिक पनडुब्बियां, रिमोटली ऑपरेटेड वाहन और चार सर्वेक्षण मोटर बोट शामिल हैं.
- इसमें एक हेलीकॉप्टर डेक भी है.
इस पोत का निर्माण कोलकात्ता के गार्डन रीच शिप बिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड ने किया है. इस युद्धपोत का डिज़ाइन नौसेना के शिप प्रोडक्शन निदेशालय और वॉरशिप ओवरसीइंग टीम कोलकात्ता के देखरेख में हुआ है. इसका 80 फीसदी हिस्सा देश में ही बनकर तैयार हुआ है.
इक्षक युद्धपोत का निर्माण रक्षा क्षेत्र में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता का उदाहरण है. इस युद्धपोत को बंदरगाहों, हार्बर और नौवहन चैनलों के विस्तृत तटीय और गहरे पानी के हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करने के लिए बनाया गया है. इससे प्राप्त डेटा समुद्र में सुरक्षित नौवहन सुनिश्चित करने में सहायक होगा.
इसका नौसेना में शामिल होना इस लिहाज से भी काफी मायने ऱखता है कि यह भारत की विशाल समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए बनाई गई रणनीतिक योजना में एक बड़ा कदम है. साथ ही यह भारत के समुद्री सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने में सहायक होगा.














